- पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, लोकतंत्र में विचारों में भिन्नता हो लेकिन संवाद की कड़ी ना टूटे
- किसानों के लिए गुरुनानक वाणी किछु कहिए और किछु सुनिए का किया जिक्र
- नीतियों को लेकर विरोध लाजिमा लेकिन टकराव का रास्ता सही नहीं
नई दिल्ली। एमएसपी और मंडी समिति के मुद्दे पर किसान पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। केंद्र सरकार की तरफ से जो प्रस्ताव दिए गए थे उसे किसान संगठन नकार चुके हैं और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। पिछले 15 दिन से वो दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं और 12 से 14 दिसंबर के मध्य किस तरह से आंदोलन को आगे बढ़ाना है उस पर रणनीति बना रहे हैं। इन सबके बीच केंद्र सरकार की तरफ से 106 पेज की बुकलेट जारी की गई है जिसमें सरकार की कोशिशों का जिक्र हैं। वहीं संसद की नई बिल्डिंग के शिलान्यास के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों का नाम लिए बगैर बड़ी बात कही।
गुरुनानक वाणी किछु कहिए किछु सुनिए का किया जिक्र
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में किसानों का नाम लिए बगैर गुरुनानक जी के संदेश का जिक्र करते हुए कहा कि किछु कहिए और किछु सुनिए यानी कि कुछ कहिए और कुछ सुनिए लेकिन संवाद मत तोड़िए क्योंकि ऐसा होने पर किसी भी सार्थक नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है। हमें 'इंडिया फर्स्ट' का संकल्प लेना होगा। हमारे फैसलों को राष्ट्र को मजबूत बनाना चाहिए और उसी पैमाने पर मापा जाना चाहिए जिसमें राष्ट्र का कल्याण हो। अगले 25 से 26 साल में हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि आजादी के 100 साल बाद यानी कि 2047 में हम भारत को कैसे देखना चाहते हैं,
किसी भी सूरत में संवाद ना टूटे
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सशक्त लोकतंत्र में विचारों की भिन्नता स्वाभाविक है और उसे होना भी चाहिए। लेकिन हमें कोशिश करनी पडे़गी कि किसी भी विषय पर कभी संवाद ना टूटे। उन्होंने कहा कि चाहे विरोध संसद के भीतर हो आ संसद के बाहर हमें कोशिश करनी पडे़गी हम सब एक दूसरे की सुनें। नीतीयों और उनके क्रियान्वयन में मतभेद लाजिमी है। लेकिन हमें देखना होगा कि कोई विषय अनावश्यक विवाद का शक्ल तो नहीं अख्तियार कर रहा है।