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फेसबुक की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने मारा ताना, आप रेलवे प्लेटफार्म नहीं बल्कि डिजिटल प्लेटफार्म हो

Updated Jul 08, 2021 | 20:04 IST

दिल्ली दंगा 2020 के संबंध में फेसबुक पर पोस्ट के संबंध में दिल्ली असेंबली कमेटी ने उनके अधिकारियों को समन किया है। लेकिन फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट से राहत देने की अपील की है, हालांकि अदालत ने ताना मारा है।

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फेसबुक की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने मारा ताना,क्या है मामला
मुख्य बातें
  • दिल्ली असेंबली कमेटी के सामने पेश न होने के लिए फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई है अर्जी
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फेसबुक यह नहीं कह सकता कि वो कंटेंट को कंट्रोल नहीं कर सकता है
  • सोशल मीडिया प्लेटफार्म लोगों के विचारों को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं।

2020 दिल्ली दंगों के संबंध में दिल्ली विधानसभा की समिति ने फेसबुक को पेश होने के लिए कहा था। लेकिन फेसबुक से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फेसबुक की तरफ से पेश वकील से अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया यानी आप लोग सामान्य जनमत को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, समाज के ध्रूवीकरण में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लिहाजा सामान्य तर्कों आप नहीं दे सकते हैं। यह कह देना कि फेसबुक एक सामान्य प्लेटफार्म है जहां कोई भी अपने विचार को रख सकता है और आपके हाथ में नियंत्रण के उपाय नहीं हैं। 

फेसबुक की दलीलों पर भरोसा करना मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप लोगों की दलीलों पर भरोसा करना कठिन है। सच तो यह है कि फेसबुक जैसे प्लेटफार्म को सभी अंगों के साथ संतुलन बनाकर चलने की जरूरत है। जिस तरह से सोशल प्लेटफार्म पर डिबेट होती है उसे देखने की जिम्मेदारी आपकी है कहीं ऐसा तो नहीं उन बहस की वजह से सामाजित समरसता को खतरा पैदा होगा।

जजों ने कुछ देशों में पूछताछ का दिया हवाला
जस्टिस संजय कौल, दिनेश माहेश्वरी और हृषिकेश रॉय की शीर्ष अदालत की बेंच ने सोशल नेटवर्क कंपनी के खिलाफ कई देशों में शुरू की गई पूछताछ का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि फेसबुक इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि वे व्यक्तिगत सामग्री और समाचार की सेवा के लिए कुछ मानवीय हस्तक्षेप के साथ एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं। सामाजिक कनेक्शन, स्थान, पिछली ऑनलाइन गतिविधि आदि जैसे कारकों के आधार पर उपयोगकर्ता के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।

लोगों के विचारों को प्रभावित करते हैं डिजिटल प्लेटफार्म
अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के एल्गोरिदम में अंतर्निहित पूर्वाग्रह होते हैं जो "प्रतिकृति और प्रबलित" होने में सक्षम होते हैं। सुप्रीम कोर्ट की  बेंच ने यह भी कहा कि राघव चड्ढा की अध्यक्षता वाली दिल्ली विधानसभा शांति और सद्भाव समिति को दिल्ली दंगों के मामले में फेसबुक के खिलाफ मुकदमा चलाने के बारे में प्रथम दृष्टया बयान नहीं देना चाहिए क्योंकि समिति के पास कानून और व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। दिल्ली जो केंद्र सरकार के अधीन आती है।

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