- दिल्ली हिंसा में उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने किया था गिरफ्तार,
- उमर खालिद पर यूएपीए के तहत चलेगा केस, गृहमंत्रालय ने दी मंजूरी
- सीपीआई ने राजनीति से बताया प्रेरित, दूसरों के भाषण की भी होनी चाहिए जांच
नई दिल्ली। उमर खालिद का विवादों से नाता रहा है। उमर खालिद का नाम पहली बार जेएनयू प्रकरण में आया था। उसके बाद जब नागरिकता संशोधन कानून को अमली जामा पहनाया गया तो उसके विरोध में उनके सुर फूटे। लेकिन सीएए के खिलाफ जिस तरह दिल्ली जली उसमें भी उनका नाम सामने आया। उमर खालिद और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है।दिल्ली पुलिस ने हिंसा के मामले में उमर खालिद को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। इस कानून के मुताबिक यूएपीए के तहत किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने से गृह मंत्रालय से मंजूरी लेना आवश्यक है।
गृहमंत्रालय- दिल्ली सरकार से मिली इजाजत
दिल्ली पुलिस को करीब एक हफ्ता पहले इजाजत मिल चुकी थी। दिल्ली हिंसा के मामले में उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दिल्ली पुलिस चार्जशीट कोर्ट मे दाखिल करेगी। लावा क्राइम ब्रांच भी उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट जल्द दाखिल करने वाली है। दिल्ली पुलिस की तरफ से उमर खालिद को 14 सितंबर को दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था।
14 सितंबर को उमर खालिद की हुई थी गिरफ्तारी
कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 20 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी है। दिल्ली पुलिस की तरफ से उनकी न्यायिक हिरासत और बढ़ाने की अपील की गई थी। खालिद के वकील ने दिल्ली पुलिस की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस की जांच में इसने सभी तरह से सहयोग किया है. ऐसे में यह आरोप लगाकर कि उमर खालिद जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।
राजनीति खेमें में प्रतिक्रिया
उमर खालिद के खिलाफ केस चलाए जाने की मंजूरी पर राजनीतिक दलों की तरफ से अलग अलग तरह की प्रतिक्रिया आई है। सीपीआई के अतुल अंजान कहते हैं कि दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस की मौजूदगी में भाषण देने वालों को भी अदालत द्वारा संज्ञान में लिया जाना चाहिए। इसके साथ सामाजिक कार्रकर्ता जॉन दयाल का कहना है कि दिल्ली के दंगों के दौरान AAP का व्यवहार स्वयं ही निंदनीय था।