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बिहार: IIT से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं 10वीं परीक्षा के सेकेंड टॉपर दुर्गेश कुमार

Updated May 27, 2020 | 15:54 IST

bihar board class 10th result 2020 Second toper: बिहार बोर्ड की दसवी परीक्षा में पूरे राज्य में दूसरे स्थान पर रहने वाले दुर्गेश कुमार भविष्य में आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं।

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Durgesh Kumar
मुख्य बातें
  • किसान के बेटे हैं बिहार बोर्ड की दसवीं परीक्षा के सेकेंड टॉपर दुर्गेश कुमार
  • भविष्य में आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं
  • पिता ने कमजोर आर्थिक स्थिति को नहीं बनने दिया रास्ते की बाधा

पटना: बिहार बोर्ड ने मंगलवार को 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए। परीक्षा में पहला स्थान रोहतास जिले के नटवार कला गांव के किसान पुत्र हिमांशु राज ने हासिल किया। इसके बाद दूसरे स्थान पर भी समस्तीपुर के किसान पुत्र दुर्गेश कुमार रहे। दुर्गेश को 96 प्रतिशत अंक मिले। वो महज 1 अंक से पहले स्थान पर आने से चूक गए। उन्हें 500 में 480 और हिमांशु राज को 481 अंक मिले। 

समस्तीपुर के जितवारपुर स्थित एसके हाईस्कूल के छात्र दुर्गेश के पिता किसान हैं। किसान पिता ने बेटे को पढ़ाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अब वो आगे चलतक आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं। 

माता-पिता और शिक्षकों के सहयोग से मिली सफलता
दुर्गेश ने अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनका नाम टॉपर्स की लिस्ट में है। उन्होंने कहा, मैं रोज आठ से दस घंटे पढ़ाई करता था। सबसे ज्यादा फोकस फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स पर दिया था। पढ़ाई के दौरान उनका ध्यान रटने की जगह कॉन्सेप्ट क्लियर करने और विषय को समझने पर था। परीक्षा से पहले उन्होंने फॉर्मूलों पर विशेष ध्यान दिया। वहीं परीक्षा के दौरान उन सवालों को हल किया जो ज्यादा मार्क्स के थे। 

अपनी सफलता पर खुशी जताते हुए दुर्गेश ने कहा, मेरे मात-पिता, शिक्षकों ने मेरा सहयोग किया इसी वजह से मैं आज दूसरा स्थान पाने में सफल रहा। मैं आगे चलकर आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहता हूं। 

सोशल मीडिया से खुद को रखा दूर 
दुर्गेश ने खुद को साल भर सोशल मीडिया से दूर रखा। मोबाइल पर बिजी रहने से बेहतर दोस्तों के साथ मुलाकात पर ग्रुप डिस्कशन किया। इससे काफी मदद मिली। 

फूले नहीं समा रहे हैं माता-पिता
बेटे की सफलता से माता पिता फूले नहीं समा रहे हैं। पिता जय किशोर सिंह पेशे से किसान हैं और बेटे की पढ़ाई में आर्थिक स्थिति को कभी बाधा नहीं बनने दिया। दुर्गेश परिवार में चार भाई बहनों में सबसे छोटा है। पिता ने कहा कि उनका बेटा जल्दी से अपने सपनों को पूरा करे और अपने पैरों पर खड़ा होकर परिवार-समाज का नाम रोशन करे।

पिता ने आगे बताया कि बचपन से दुर्गेश मेधावी रहा है। उसे हमेशा अच्छे नंबर मिले और शिक्षकों ने कभी शिकायत नहीं की। जिस तरह वो पढ़ाई करता था उससे लगता था कि वो अच्छा करेगा लेकिन टॉप करेगा ऐसा हमने कभी नहीं सोचा था।