- स्कूलों को खोले जाने के संदर्भ में दिल्ली के अभिभावकों ने केजरीवाल सरकार को दी सलाह
- कोविड की वजह से इस शैक्षणिक सत्र को शून्य सत्र घोषित करने का सुझाव
- वैक्सीन उपलब्ध होने या 10 दिन तक कोरोना के एक भी केस के न आने पर स्कूल खोलने की भी सलाह
नई दिल्ली। कोरोना काल में स्कूलों को खोले जाने के संबंध में केंद्र सरकार की तरफ से ही दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं, हालांकि स्कूलों को किस तरह से खोला जाय किस स्टैंडर्ड के बच्चों को स्कूल जाने की इजाजत दी जाए इस संबंध में फैसला संबंधित राज्य सरकारों को करना है। देश के कुछ राज्यों ने 9वीं से 12वीं तक के स्कूलों को खोल दिया है हालांकि उसमें शर्ते भी जुड़ी हैं। जहां तक दिल्ली की बात है तो केजरीवाल सरकार ने पहले ही कहा था कि इस संबंध में अभिभावकों से राय लेकर ही किसी तरह का फैसला किया जाएगा।
अभिभावकों ने स्कूल न खोलने का दिया सुझाव
दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले करीब ढाई हजार बच्चों के अभिभावकों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अपील की है कोविड -19 महामारी के कारण स्कूलों को इस शैक्षणिक वर्ष में नहीं खोला जाए।सीएमओ को एक ईमेल में, दिल्ली माता-पिता संघ ने 2,498 माता-पिता से छोटे इनपुट और विचार भेजे, जिनमें से लगभग सभी ने कहा कि वे अपने बच्चों को वर्तमान में स्कूलों में भेजने में सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं।
दो सूरत में खोले जा सकते हैं स्कूल
अभिभावकों ने सुझाव दिया है कि स्कूलों को खोले जाने का फैसला दो सूरत में लेना चाहिए। पहला कि या तो कोरोना वायरस का कोई वैक्सीन उपलब्ध हो जाए या कम से कम 10 दिन तक कोरोना के एक भी केस सामने न आएं। इन्हीं दो सूरत में स्कूलों को खोला जा सकता है। सरकार को इस वर्ष को शून्य वर्ष घोषित करना चाहिए। आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाना चाहिए, जबकि नौवीं से बारहवीं के छात्रों के लिए, उन्हें कुछ ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। अभिभावकों ने कहा कि मौजूदा समय में स्कूलों को खोलने से ज्यादा जरूरी बच्चों की जान की हिफाजत है।