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प्राइवेट स्‍कूल में टीचिंग के बाद आया अफसर बनने का ख्‍याल, मनोज चौधरी ऐसे बने पीसीएस

Updated Jul 25, 2019 | 16:39 IST | Kuldeep Singh Raghav

साधारण परिवार के रहने वाले मनोज चौधरी ने स्‍कूल टीचर से जिला कृषि अधिकारी (पीसीएस) तक का सफर तय किया। वह कहते हैं कि संसाधनों का अभाव आपको सफल होने से नहीं रोक नहीं सकता है।

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Manoj chaudhary

नई दिल्‍ली। साधारण परिवार के रहने वाले मनोज चौधरी ने स्‍कूल टीचर से जिला कृषि अधिकारी (पीसीएस) तक का सफर तय किया। वह कहते हैं कि संसाधनों का अभाव आपको सफल होने से नहीं रोक नहीं सकता है। बागपत के रहने वाले मनोज चौधरी ने प्राइमरी शिक्षक के तौर पर नौकरी की। कुछ साल पूर्व उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा में वह सफल हुए और उन्‍हें जिला कृषि अधिकारी का पद मिला है। 

मनोज कहते हैं कि कोचिंग से तैयारी में लाभ तो मिलता है। वह कहते हैं इससे कंसेप्ट क्लियर हो जाता है कि तैयार क्‍या करना है। कोचिंग नहीं कर सकते हैं तो तैयारी करने वाले छात्रों का एक ग्रुप बनाएं और रुटीन बनाकर तैयारी करें।

वह कहते हैं- "संसाधनों का अभाव आपको रोक नहीं सकता है। अच्छे लोगों के संपर्क में रहें और अच्छी मेहनत करें। स्टडी मैटेरियल अच्छा रखें। खुद नोट्स बनाएं और तैयारी करें। संकल्प में कोई विकन्प नहीं है। परीक्षा की प्रकृति को समझें। और ध्यान रखें "हौंसले ही तो फतह की बुनियाद हुआ करते हैं, कांपते हाथों से तलवार तुम उठाते हो क्यों।" पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश-

सिविल सेवा में जाने का मन कैसे बनाया?
मैं बहुत ही साधारण परिवार में पला-बढ़ा हूं। पढ़ाई के दौरान मेरे मन में सिविल सेवा में जाने का कोई विचार नहीं था। पोस्ट ग्रेजुएशन में पढ़ाई के दौरान मैंने सिविल सेवा में जाने का मन बनाया। पढ़ाई के बाद मैं बुलंदशहर के रैनेसा स्कूल में पढ़ाने लगा तो तैयारी के लिए समय नहीं मिला। उसके बाद मेरा चयन प्राथमिक विद्यालय में प्राइमरी शिक्षक के तौर पर हो गया था। इसके बाद मैंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। 

कैसे शुरू की तैयारी?
बुलंदशहर में रहते हुए मैं अपने गुरू श्याम सुंदर पाठक के संपर्क में आया। वह फिलहाल उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर हैं। उन्होंने 'यूनिक 11' नाम से एक ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में गरीब और साधारण परिवार के 11 छात्रों को उन्होंने जोड़ा था। मुझे भी इस ग्रुप में जुड़ने का मौका मिला था। हम सब दिन रात मेहनत करते थे। निबंध में मदद के लिए श्याम सुंदर का सहयोग रहा। इंटरव्यू की तैयारी में जिला गन्ना अधिकारी प्रदीप तेवतिया जी का सहयोग रहा। 

कब हुई थी परीक्षा?
मैंने मार्च 2015 में पीसीएस परीक्षा दी थी। पेपर लीक होने के कारण मई 2015 में दोबारा परीक्षा हुई। जून में मुख्य परीक्षा हुई और फिर इंटरव्यू हुआ। इंटरव्यू मेरा बहुत अच्छा था। अधिकतर प्रश्न मेरे कॅरियर और एकेडेमिक से जुड़े थे। 

मुख्य परीक्षा के लिए कौन से विषय चुने?
समाज कार्य और लोक प्रशासन।

शैक्षिक पृष्ठभूमि
मेरी पढ़ाई सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ से हुई है। मैंने एमएसजी जैनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में पीजी किया। उसके बाद एमए इकोनोमिक्स और एम हिस्टी की पढ़ाई की। मैंने बीएड, एमड और एमफिल भी किया है। इसके अलावा मैंने एजुकेशन और हिस्ट्री में यूजीसी नेट भी क्वालिफाई किया है। 

सफलता का श्रेय किसको देंगे?
मेरी सफलता का श्रेय मेरे परिवार के संघर्ष को है। कठिनाइयां झेलने के बाद भी मेरे पिता लक्ष्मण सिंह ने पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। इसके अलावा मेरी मां और मेरी पत्नि सीमा सिरोही ने हर कदम पर साथ दिया। मेरे गुरू सूरज कुमार और श्याम सुंदर पाठक का योगदान तो मैं कभी नहीं भूलूंगा।