- असम में जेईई परीक्षा घोटाले में कोचिंग सेंटर मालिक, आईटी पेशेवर की तलाश: पुलिस
- पुलिस को शक है कि इसके पीछे शामिल हो सकता है एक पूरा गिरोह
- इस घोटाले की जांच के लिए गठित एक विशेष जांच दल का नेतृत्व कर रहे हैं पुलिस उपायुक्त
गुवाहाटी: असम में जेईई (मेंस) परीक्षा के टॉपर और उसके चिकित्सक पिता को परीक्षा में अभ्यर्थी के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को कथित तौर पर बैठाने को लेकर गिरफ्तार करने के बाद राज्य पुलिस अब देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में धोखाधड़ी के सिलसिले में एक कोचिंग संस्थान के मालिक और एक प्रमुख आईटी कंपनी के कर्मचारी की तलाश कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि इस मामले में अभी तक पांच व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें पांच दिन के लिए पुलिस हिरासत में लिया गया है।
तलाश में जुटी पुलिस
गुवाहाटी के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) एस. एल. बरुआ ने बताया, ‘पुलिस शहर के एक कोचिंग संस्थान के मालिक और एक प्रमुख आईटी कंपनी के एक कर्मचारी की तलाश कर रही है।’एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कई लोगों के इस मामले में शामिल होने का संदेह है और गिरोह का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
राज्य पुलिस ने देश भर में परीक्षा आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) से संपर्क किया है और जेईई मेन्स से संबंधित जानकारी मांगी है ताकि उसे जांच में मदद मिल सके।
पेशवर आईटी कंपनी की ली सेवाएं
पुलिस अधिकारी ने कहा कि एनटीए ने परीक्षा कराने के लिए अवसंरचनात्मक और मानव संसाधन समर्थन के लिए एक आईटी कंपनी की सेवाएं ली थी। बरुआ इस घोटाले की जांच के लिए गठित एक विशेष जांच दल का नेतृत्व कर रहे हैं। यह घोटाला तब प्रकाश में आया था जब अभ्यर्थी की उसके मित्र से टेलीफोन पर की गई कथित बातचीत की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी।
कॉल रिकार्ड से हुआ खुलासा
पुलिस ने कहा कि अभ्यर्थी ने अपने मित्र के साथ फोन कॉल के दौरान धोखाधड़ी की बात स्वीकार की थी और उक्त कॉल को रिकॉर्ड किया गया था। परीक्षा गत पांच सितम्बर को हुई थी। इस संबंध में एक प्राथमिकी 23 अक्टूबर को यहां के अजरा थाने में मित्रदेव शर्मा नाम के एक व्यक्ति द्वारा दर्ज करायी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जेईई-मेन्स में 99.8 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी ने अपनी जगह पर किसी और को परीक्षा में बैठाया था।
शर्मा ने आरोप लगाया कि परीक्षा के दिन अभ्यर्थी ने बोरझार क्षेत्र स्थित निर्दिष्ट केंद्र में प्रवेश किया लेकिन पर्यवेक्षक की मदद से बायोमेट्रिक उपस्थिति पूरी करने के बाद बाहर आ गया और परीक्षा उसकी जगह पर एक अन्य व्यक्ति ने दी। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि अभ्यर्थी के माता-पिता ने परीक्षा में उसकी मदद करने के लिए गुवाहाटी में निजी कोचिंग संस्थान को 15 से 20 लाख रुपये का भुगतान किया था।