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Noorul hasan Success Story: पापा ने जमीन बेच भरी कॉलेज की फीस, बेटे ने IPS बन गर्व से ऊंचा कर दिया सिर

Updated Oct 13, 2019 | 14:14 IST

Noorul hasan IPS Success Story: यूपी के पीलीभीत के करीब एक गांव में पैदा हुए नूरुल हसन आर्थिक हालातों से जूझकर, संसाधनों के अभाव में आईपीएस बने। वह कहते हैं कि अभाव का रोना रोने की बजाय दोगुनी मेहनत करें।

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Noorul Hasan

Noorul hasan IPS Success Story: हर मां-बाप का सपना होता है कि उनका बेटा या बेटी ऐसे मुकाम पर पहुंचे, जहां उसे देखने के लिए लोगों को गर्दन ऊंची करनी पड़े। उत्‍तर प्रदेश के पीलीभीत के छोटे से गांव हररायपुर के में पैदा हुए नूरुल हसन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जिस पिता ने बेटे की फीस भरने को गांव की जमीन बेच दी, उस बेटे ने पिता के त्‍याग का कर्ज आईपीएस बनकर उतारा। 

नूरुल ने आर्थिक हालातों से जूझकर, संसाधनों के अभाव में खुद को स्थापित किया है और 2015 में वह आईपीएस बन गए। नूरुल ने गरीबी देखी, परेशानी झेली लेकिन हार नहीं मानी। मेहनत और लगन के बल पर मलिन बस्ती से सिविल सेवा परीक्षा तक का सफर तय किया। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बेटे नूर ने अपनी सफलता की कहानी साझा की टाइम्‍स नाऊ हिंदी के साथ। अपने संघर्ष पर बात करते हुए उनकी आंखें छलक आईं पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश— 

सवाल: अब तक का आपका सफर जानना चाहेंगे?
जवाब: मेरा जन्म पीलीभीत के छोटे से गांव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई। पिता जी खेती करते थे। मैं बेहद गरीबी में पला बढा। स्कूल की छत टपकती थी तो घर से बैठने के लिए कपड़ा लेकर जाता था। माता—पिता के अलावा दो छोटे भाई हैं। उनकी परवरिश और पढ़ाई का दबाव था। उसके बाद मैंने हमारे ब्लॉक के गुरनानक हायर सेकेंडरी स्कूल, अमरिया से 67 प्रतिशत के साथ दसवीं की। मैं टॉपर था। उसके बाद मेरे पापा की चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति हो गई तो हम बरेली आ गए। यहां मैंने मनोहरलाल भूषण कॉलेज से 75 प्रतिशत के साथ 12वीं की। इस समय हम एक मलिन बस्ती में रहते थे। पानी भर जाता था लेकिन मैं उसी हाल में पढ़ता था। 

सवाल:  ग्रेजुएशन कहां से की?
जवाब: 12वीं के बाद मेरा सलेक्शन एएमयू अलीगढ़ में बीटेक में हो गया लेकिन फीस भरने के पैसे नहीं थे। इस पर पापा ने गांव में जो जमीन थी वो बेच दी और मेरी फीस भरी। मैंने खूब पढाई की। इसके बाद मुझे गुडगांव की एक कंपनी में प्लेसमेंट मिल गया। यहां की सैलेरी से घर की जरूरतें पूरा करना मुश्किल था तो भाभा एटोमिक रिसर्च इंस्टीटयूट की परीक्षा दी और मेरा चयन तारापुर मुंबई में वैज्ञानिक के पद पर हो गया। वर्तमान में मैं एटॉमिक सेंटर नरौरा में पोस्टिंग हूं। 

सवाल:  मुख्य परीक्षा में कौनसा विषय चुना था?
जवाब: मैंने पब्लिक एडमिनिस्टेशन को चुना था।

सवाल:  आपके शौक क्या हैं?
जवाब: मुझे खेलने और पढ़ने का शौक है। मैं गांव में खेतों पर जाता था तो किताबें साथ लेकर जाता था। सात—आठ साल की उम्र से अखबार पढ़ता हूं। अखबार खरीदने के पैसे नहीं थे तो होटलों पर जाकर पढ़ता था। जोगिंदर सिंह के लेखों ने मेरे जीवन को प्रेरणा दी है। मैं उनके लेखों को बड़े मन से पढ़ता था।

सवाल:  इंटरव्यू का अनुभव कैसा रहा?
जवाब: इंटरव्यू शानदार था। मेरे विषय से हटकर मुझसे सवाल पूछे गए। क्योंकि मैं न्यूक्लियर में वैज्ञानिक था तो न्यूक्लियर से संबंधित प्रश्न पूछे। इंजीनियरिंग, संविधान और क्रिकेट से संबंधित प्रश्न पूछे। इसके अलावा गुरनानक, सिखों के गुरओ के नाम पूछे। 

सवाल: तैयारी कर रहे युवाओं से क्या कहेंगे?
जवाब:  गरीबी को कोसें ना। जो भी संसाधन हैं उन्हीं के बीच तैयारी करें। बस अपनी मेहनत और लगन के साथ समझौता न करें। दूसरा मैं मुस्लिम युवाओं से कहूंगा कि भारत देश बहुत प्यारा है। देश की प्रगति के लिए शिक्षित बनें। मेहनत के बल पर आगे बढ़ें।