- आईएएस बनने से पहले रविंद्र कुमार दो बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके हैं।
- रविंद्र कुमार 6 साल तक इटली की एक कंपनी में नौकरी की थी।
- प्रतिभा के धनी रविंद्र कुमार कई सम्मान मिले हैं।
आईएएस परीक्षा देश की सबसे मुश्किल परीक्षा में से एक है। उसे क्रैक करने के लिए समय और स्ट्रेटजी दोनों की ही जरूरत होती है। आज हम बात करेंगे किसान के बेटे रविंद्र कुमार की। आईएएस रविंद्र कुमार साल 2011 बैच के सिक्किम कैडर के अधिकारी हैं। आईएएस बनने से पहले रविंद्र कुमार ब्लैक बेल्ट और तैराकी में महारत हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा उनकी सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरणा देगी।
बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रविंद्र कुमार के पिता एक किसान थे। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई जवाहर नवोदय से की है। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई रांची से पूरी और मुंबई में मर्चेट नेवी की पढ़ाई करने चले गए। पढ़ने में अच्छे होने की वजह से रविंद्र कुमार कुमार का सेलेक्शन आईआईटी में भी हुआ था, लेकिन वो वहां नहीं गए। बता दें कि आईएएस बनने से पहले रविंद्र कुमार 6 साल तक इटली की एक कंपनी में नौकरी भी कर चुके हैं।
इसके अलावा प्रतिभा के धनी रविंद्र कुमार कई सम्मान मिले हैं। उन्हें सिक्किम खेल रत्न अवॉर्ड, बिहार विशेष खेल सम्मान, कुश्ती रत्न सम्मान समेच कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।
लिख चुके हैं किताब
रविंद्र कुमार ने एक किताब लिखी है। उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का पूरा किस्सा इस किताब में लिखा है। साल 2013 में पहली बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के बाद उन्होंने मेनी एवरेस्ट्स के नाम से किताब लिखी। इस किताब में उन्होंने माउंट एवरेस्ट के चढ़ाई के दौरान आने वाली मुश्किलें और अपने हर एक छोटे अनुभव को इस किताब ने शेयर किया है।
ब्लैक बेल्ट और तैराकी के अलावा दो बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके हैं
रविंद्र कुमार देश के पहले ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया है। उन्होंने एवरेस्ट पर फतह करने के बाद वहां गंगा जल चढ़ाया और गंगा की सफाई संदेश दिया। रविंद्र कुमार ने साल 2013 में पहली बार एवरेस्ट की चढ़ाई की थी, उन्होंने पहली बार में ही इसे फतह कर लिया था।
माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने के लिए तीन मंजिला बिल्डिंग पर करते थे प्रैक्टिस
रविंद्र कुमार ने दार्जिलिंग में एक इंस्टीट्यूट से इसके लिए कोर्स किया था। कोर्स के बाद उन्होंने अपनी प्रैक्टिस नहीं छोड़ी। ऐसे में वो रोजाना चार घंटे ट्रैकिंग की प्रैक्टिस गंगटोक में तीन मंजिला बिल्डिंग में करते थे। रविंद्र कुमार ने चीन और नेपाल के रास्ते से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी।