- सुप्रीम कोर्ट ने NEET PG की खाली सीटों को भरने वाली याचिका खारिज कर दी है।
- सुप्रीम कोर्ट ने सीटों को भरने के लिए नई दौर की काउंसिल कराने से मना कर दिया है।
- NEET PG के लिए कुल 1,456 सीटें (SC on NEET PG Vacant Seats) खाली पड़ी हैं।
SC on NEET PG Vacant Seats: सुप्रीम कोर्ट ने NEET PG की खाली पड़ी 1,456 सीटों को भरने के लिए एक अतिरिक्त दौर की काउंसलिंग की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अवकाश पीठ ने कहा कि नौ दौर की काउंसलिंग पहले ही समाप्त हो चुकी है और नए दौर की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे शैक्षणिक सत्र में देरी होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
न्यायमूर्ति एमआर शाह ने कहा, "याचिकाकर्ता उन खाली सीटों के लिए काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं, जो ज्यादातर गैर-क्लिनिकल सीटें हैं। इसमें कोई दोहराए नहीं है कि केंद्र को प्रवेश पूरा करने के लिए समय सारणी का पालन करना होगा। आठ से नौ राउंड की काउंसलिंग की गई थी और फिर भी, कुछ गैर-क्लिनिकल सीटें खाली हैं। इस प्रकार, सीटों को न भर पाना केन्द्र सरकार के मनमाने रूख की ओर इशारा नहीं करता। किसी भी हालत में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।"
अदालत ने कहा, "40,000 सीटों में से केवल 1,456 सीटें ही खाली हैं। इन सभी को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को कोर्ट से किसी प्रकार की राहत मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इस याचिका पर विचार करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।" सुनवाई के दौरान केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि अधिकांश खाली पड़ी सीट एनाटॉमी, बायोलॉजी आदि क्षेत्रों में हैं जो अनुसंधान और शिक्षण क्षेत्र हैं जिनके डॉक्टर के रूप में काम करने की कोई संभावना नहीं है। शायद यही कारण है कि छात्र इन क्षेत्रों का चयन नहीं करते।
सुप्रीम कोर्ट ने MCC और केन्द्र सरकार को लगाई फटकार
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट फॉर पोस्ट ग्रेजुएट (NEET PG) के सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में 1400 से ज्यादा सीटें खाली छोड़ने पर केंद्र सरकार और मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) को भी फटकार लगाई है। पीठ NEET PG सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों के लिए अतिरिक्त दौर की काउंसलिंग के आदेश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने कहा कि मई में हुए अतिरिक्त दौर के बाद भी 1,456 सीटें खाली हैं।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा, "यदि आप प्रक्रिया के बीच में सीटों को जोड़ते हैं तो इससे प्रवेश में भ्रष्टाचार की उम्मीदें भी अपने आप बढ़ जाती हैं," केंद्र के वकील ने कहा कि खाली पड़ी सीटों के कारणों में से एक बाद में 140 से ज्यादा सीटें जोड़ी जाना भी है।न्यायमूर्ति एमआर शाह ने कहा कि प्रणाली में अक्षमता छात्रों के तनाव के स्तर को बढ़ा रही है। इसके साथ ही एमआर शाह ने एमसीसी और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) से इसपर तुरंत स्पष्टीकरण देने को भी कहा है।