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UP:यूपी के विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में नहीं होंगी परीक्षाएं !दो जुलाई को होगा फैसला

Updated Jun 30, 2020 | 14:22 IST

UP Universities Exam: मेरठ के कुलपति के तनेजा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने यूपी के विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में परीक्षाएं निरस्त कर विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने की सिफारिश की है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर
मुख्य बातें
  • उत्तर प्रदेश के 48 लाख से अधिक विद्यार्थियों पर इसका असर होगा
  • कमेटी ने विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने का फार्मूला भी सुझाया है
  • उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि 2 जुलाई को इस विषय पर फैसला होगा

लखनऊ: कोरोना वायरस के चलते प्रदेश के विश्वविद्यालयों व डिग्री कालेजों में स्नातक व परास्नातक की परीक्षाओं को लेकर 2 जुलाई को योगी सरकार फैसला लेगी।उच्च शिक्षा विभाग द्वारा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति प्रो़ एनके तनेजा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने परीक्षाओं संबंधित अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार उपमुख्यमंत्री डॉ़ दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक में कमेटी के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बन गई है।

हालांकि औपचारिक घोषणा दो जुलाई तक ही की जाएगी। प्रदेश के 18 राज्य विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के 48 लाख से अधिक विद्यार्थियों पर इसका असर होगा।उपमुख्यमंत्री डा़ दिनेश शर्मा ने कहा कि 2 जुलाई को इस विषय पर फैसला होगा। उच्च शिक्षा विभाग ने कोरोना संकट के दौरान विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के आयोजन के लिए चार सदस्यीय समित गठित की थी।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रो. एनके तनेजा की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय कमेटी ने राज्य विश्वविद्यालयों की प्रस्तावित परीक्षाएं निरस्त करने की सिफारिश की है बताते हैं कि कमेटी ने विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने का फार्मूला भी सुझाया है।समिति अपनी रिपोर्ट डॉ.दिनेश शर्मा को सौंपते हुए दूसरे प्रदेशों की तर्ज पर यूपी में भी विवि की परीक्षाएं नहीं कराने और विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के प्रोन्नत करने का सुझाव दिया है।

तो करीब 48 लाख छात्रों को पदोन्नत किया जाएगा!

समिति का मानना है कि देश व प्रदेश में लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। ऐसे में विश्वविद्यालय की परीक्षाएं सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से कराया जाना संभव नहीं है और एक्जाम आयोजित कराने से शिक्षकों और विद्यार्थियों में कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा रहेगा। इस कमेटी की रिपोर्ट को देखते हुए अब प्रोन्नति पिछली कक्षा में मिले अंक के आधार पर दी जाए या सभी विषयों में मिले अंक में से जिस विषय में ज्यादा अंक मिले हैं उसे आधार मानकर रिजल्ट तैयार किया जाए, इन सब पर मंथन किया जा रहा है। अगर सरकार समिति की सिफारिश को मान लेती है, तो करीब 48 लाख छात्रों को पदोन्नत किया जाएगा।