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IAS Success Story: बिना कोचिंग और टेस्ट सीरीज के यूपीएससी में पाई सफलता, पहली बार सिर्फ दो नबंर से हुए थे फेल

Updated Oct 10, 2019 | 20:14 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

IAS success stories: यूपीएससी की तैयारी को लेकर कई युवाओं के मन में दुविधा बनी रहती हैं। कई लोग इसकी तैयारी के लिए कोचिंग या फिर टेस्ट सीरीज का सहारा लेते हैं, लेकिन अतिराग ने इनमें से किसी की भी मदद नहीं ली।

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IAS Success Story Atirag Chaplot
मुख्य बातें
  • पहली बार ही नहीं दूसरी बार भी यूपीएससी की परीक्षा में अतिराग चपलोत सिर्फ दो नंबर से फेल हुए थे।
  • उन्होंने ने शेयर की अपनी खास स्ट्रेटजी।
  • उन्होंने पहली बार साल 2016 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी।

IAS success stories without coaching: आईएएस के साथ-साथ अतिराग चपलोत एक सीए भी हैं। बता दें कि सिविल सर्विस की परीक्षा को उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में क्रैक किया था। उन्होंने इस वीडियो अपनी स्ट्रेटजी शेयर करते हुए बताया कि तैयारी के वक्त इन बातों का खास ध्यान देना चाहिए। उनके मुताबिक इस परीक्षा में दो बार मिले असफलता से सीखकर तीसरी बार में सफलता हासिल की है। उन्होंने ये सफलता बिना किसी कोचिंग और टेस्ट सीरीज का सहारा लिए हासिल की है।

यूपीएससी की परीक्षा को पास करने से पहले उन्होंने साल 2015 में सीए की परीक्षा टॉप किया है। सीए के फाइनल में उन्होंने 16वीं रैंक हासिल की है। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। साल 2016 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी, जहां प्रीलिम्स में वो 2 नंबर से पीछे रह गए थे।

इसके बाद अगले साल जब उन्होंने परीक्षा दी तो इस बार मेन्स में दो नंबर से पीछे रह गए थे। ऐसे में सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता उन्हें तीसरी बार में मिली। इस परीक्षा में उन्होंने 15वीं रैंक हासिल की है। अपनी तैयारी की स्ट्रेटजी को शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि सबसे पहले सिंपल पार्ट का चयन करना चाहिए। जहां आप एक टाइम पीरियड को ध्यान में रखते हुए उसे कवर करने की कोशिश किजिए।

अगर तैयारी सिलेबस के हिसाब से की जाए तो इसे क्रैक करना मुश्किल नहीं है। यूपीएससी की साइट पर सिलेबस जारी कर दिया जाता है, जहां से आप उसे डाउनलोड कर सकते हैं। किताबों को लेकर उन्होंने बताया कि तैयारी के लिए कुछ किताबें बहुत कॉमन हैं, ऐसे में एक सोर्स को तय करें और उसी के अनुसार पढ़ाई शुरू करें। 

अतिराग चपलोत के मुताबिक हर किसी की अलग स्ट्रेटजी होती है। अपनी स्ट्रेटजी को लेकर उन्होंने बताया कि मैंने मार्क्स से ज्यादा आसंर पर ज्यादा ध्यान दिया। परीक्षा के दौरान मेरी कोशिश होती थी कि मैं अधिक से अधिक सवाल सॉल्व करूं। जिससे स्कोर के साथ-साथ सही रैंक भी ला सकूं। दो बार फेल होने के बाद मैंने अपनी असफलताओं से सीखा और उस कमी को आगे पूरी करने की कोशिश की।