- अखिलेश यादव नहीं अखिलेश अली जिन्ना हैं- केशव प्रसाद मौर्य
- 2022 में भी पिछड़ा समाज सपा के साथ जाएगा
- यूपी की जनता एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनाने जा रही है।
देश के सबसे बड़े सूबे में से एक यूपी में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं लेकिन बयानों के जरिए एक दूसरे पर निशाना साधा जा रहा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जबसे मोहम्मद अली जिन्ना की वकालत की वो बीजेपी के निशाने पर हैं। बीजेपी के सभी नेता उन्हें कहते हैं कि अल्पसंख्यक वोटों की खातिर वो कुछ भी बोल सकते हैं। अंबेडकरनगर में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी निशाना साधा।
'अखिलेश यादव नहीं बल्कि अखिलेश अली जिन्ना हैं'
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वो उन्हें अखिलेश यादव नहीं बल्कि अखिलेश अली जिन्ना कहता हूं। वह पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं, यह अवसरवाद है। पिछड़ों के प्रति उनके मन में कुछ सम्मान था, तो 2012-17 तक सपा के पास पूर्ण बहुमत था। वह उन्हें जगह दे सकता था।मेरा मानना है कि 2014 के बाद पिछड़े उनके साथ नहीं गए और 2022 के बाद भी उनके साथ नहीं जाएंगे।
क्या कहते हैं जानकार
यूपी के चुनाव में इस समय मोहम्मद अली जिन्ना का मुद्दा छाया हुआ है। अखिलेश यादव के बयान के बाद बीजेपी नेता करीब करीब सभी मंचों पर इस मुद्दे को उठाते हैं तो सपा की तरफ से भी जवाब आता है कि आखिर गलत क्या कहा। लेकिन जानकार कहते हैं कि बीजेपी अखिलेश यादव के बयान के जरिए खुद के लिए रास्ता तलाश रही है ताकि उसके कोर वोटर्स में किसी तरह का बिखराव ना हो। इसके अलावा जब केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि पिछड़ा समाज बीजेपी के साथ ही रहेगा तो वो संदेश देना चाहते हैं कि बीजेपी के अंदर उनके पद और प्रतिष्ठा को किसी तरह का खतरा नहीं है।