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कांग्रेस एक बार फिर पटरी पर लौट सकती है बशर्ते, जानें क्या है सैफुद्दीन सोज की सोच

रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Mar 15, 2022 | 14:03 IST

हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में बयानबाजी तेज हो गई है। गांधी नेतृत्व से इत्तेफाक ना रखने वाला समूह जिसे आमतौर पर जी-23 का नाम दिया गया है उसने एक बार फिर आवाज उठायी है। कपिल सिब्बल ने सीधे तौर पर हार का ठीकरा गांधी परिवार पर फोड़ा है।

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कांग्रेस एक बार फिर पटरी पर लौट सकती है बशर्ते, जानें क्या है सैफुद्दीन सोज की सोच
मुख्य बातें
  • कांग्रेस की सभी पांच राज्यों में करारी हार, हाथ से निकला पंजाब
  • देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी में कांग्रेस को मिलीं महज 2 सीटें
  • कांग्रेस के बगावती खेमे ने बड़े बदलाव की आवाज को फिर बुलंद की

पांच राज्य के चुनावी हार के बाद कांग्रेस के भीतर लंबे समय से सुलग रही आग ज्वालामुखी बनती जा रहा है। गांधी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ अब बगावत दबी जुबान की बजाय सार्वजनिक हो गई है। और ये बगावत की है G–23 के सक्रिय और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने। कपिल सिब्बल ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पिछले सात सालों से हो रही हार का ठीकरा गांधी परिवार पर फोड़ा है।  सिब्बल ने कहा समय आ गया है की गांधी परिवार को अब पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ देना चाहिए। उनका आरोप है की अब कांग्रेस सब की होनी चाहिए वो आज एक परिवार की कांग्रेस बन कर रह गई है।

क्या कहना है सैफुद्दीन सोज का 
ऐसे ही एक वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज है जिनका मानना है कि राहुल गांधी की कार्यशैली में कुछ खामियां हो सकती है लेकिन अगर वह अपने नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू या फिर दादी इंदिरा गांधी की तरह लोगों से मिलना जुलना शुरू करें तो पार्टी पटरी पर वापस लौट सकती है। सोच ने यहां तक कहा कि वह राहुल गांधी को पत्र लिखेंगे और उन्हें यह बताएंगे की पार्टी के भीतर कुछ लोगों की शिकायत है कि वह कार्यकर्ताओं और नेताओं को मिलने का समय नहीं देते।बहरहाल कांग्रेस अपनी उत्पत्ति से लेकर आज तक के सबसे बड़े संकट काल से गुजर रही है। एक के बाद एक राज्यों में मिल रही हार से नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता जा रहा है। ऐसे में देश की सबसे पुरानी पार्टी के सामने सबसे बड़ा संकट नेतृत्व को लेकर है।  विडंबना यह है कि ना तो वह गांधी परिवार के छत्रछाया से बाहर निकल सकती है और ना ही गांधी परिवार के साये में चुनाव जीत पा रही है।

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गांधी नेतृत्व से सिब्बल की अदावत नई नहीं
सिब्बल की बगावत को सिर्फ पांच राज्यों के चुनावी हार से जोड़ कर नही देखना चाहिए। ये बगावत तो लगभग दो साल से सुलग रही है। जब पहली बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने G–23 का एक समूह बनाकर कांग्रेस में बदलाव की मांग की थी। तब से लेकर हाल में हुए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक तक इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कभी तो जी–23 के नेताओं के सब्र का बांध टूटेगा। हालांकि रविवार को हुए सीडब्ल्यूसी की बैठक में न तो गुलाम नवी आजाद, आनंद शर्मा मुकुल वासनिक ने सीधे तौर पर हार के लिए गांधी परिवार को दोषी ठहराया। लेकिन सिब्बल के इस इंटरव्यू ने अब इस बहस को सार्वजनिक बना दिया है कि कांग्रेस का एक तबका ऐसा है जो यह मानता है की लगातार हो रही हार गांधी परिवार के नेतृत्व की असफलता को दिखाता है।

सिब्बल के इंटरव्यू के बाद कांग्रेस में हलचल
सिब्बल के इंटरव्यू के बाद कांग्रेस के भीतर हलचल है। पार्टी अगले महीने हार की समीक्षा के लिए चिंतन शिविर करने जा रही है। सिंपल का इंटरव्यू चिंतन शिविर के अंदर कांग्रेस के भीतर बढ़ रही खाई को और बढ़ाने का काम करेगा। सूत्रों के मुताबिक जो बातें अभी तक दबी जुबान में कहीं जा रही थी या जिसका जिक्र कांग्रेस कार्यसमिति में नहीं हो पाया वह चिंतन शिविर के दौरान बगावत का रूप ले लेगा।लेकिन पार्टी के भीतर कुछ लोग अभी भी ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि कांग्रेस को जीवित रखने के लिए गांधी परिवार का नेतृत्व जरूरी है।