- देश में कोरोना के खतरे को देखते हुए चुनाव रैलियों पर रोक की मांग की जा रही है
- राजनीतिक दलों का कहना है कि इस बारे में अंतिम फैसला चुनाव आयोग को करना है
- चुनाव आयोग के अधिकारी बुधवार को लखनऊ में विभिन्न राजनीतिक दलों से मिले
लखनऊ : देश में कोरोना एवं ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए विधानसभा चुनाव टालने की मांग की जा रही है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय रैलियों को टालने पर टिप्पणी कर चुका है। लेकिन लगता है कि राजनीतिक पार्टियों ने तय समय पर ही चुनाव कराने का मन बना लिया है। दरअसल, चुनाव तैयारी का जायजा लेने बुधवार को उत्तर प्रदेश पहुंची निर्वाचन आयोग की टीम ने राज्य के प्रमुख दलों से मुलाकात की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक इस मुलाकात के दौरान कई नेताओं ने ईसी से विस चुनाव नहीं टालने की अपील की।
योजना भवन में ईसी के अधिकारियों से मिले नेता
योजना भवन में इसी के अधिकारियों से भाजपा, सपा, रालोद, कांग्रेस एवं बहुजन समाज पार्टी के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की। इस बैठक के बाद भाजपा नेता एके शर्मा ने कहा कि 'हमने चुनाव अधिकारियों के समक्ष तीन मांगें उठाईं। पहली यह कि आयोग एक व्यक्ति द्वारा कई बार मतदान रोके, दूसरा बुर्के में आने वाली महिलाओं की उचित जांच हो और तीसरा प्रत्येक मतदान केंद्र पर महिला कॉन्सटेबल की तैनाती हो। इसके अलावा हमने अत्यधिक आबादी वाले मतदान केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल्स का सख्ती से पालन कराने का अनुरोध किया है।'
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केंद्रीय बलों की तैनाती में हो चुनाव-कांग्रेस नेता
कांग्रेस नेता ओंकार सिंह ने दावा किया, 'हमने चुनाव आयोग को बताया कि राज्य में कानून-व्यवस्था काफी खराब है। पुलिसकर्मी राज्य सरकार के दबाव में हैं। पुलिस निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव नहीं करा सकती। यहां चुनाव केंद्रीय बलों की तैनाती में होना चाहिए।' कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना के नियम सभी के लिए एक समान होने चाहिए। आरएलडी नेता अनिल दुबे ने कहा कि हमने चुनाव समय पर कराने का अनुरोध किया है।
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चुनाव समय पर कराने की अपील
सपा नेता नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि हमने चुनाव आयोग के अधिकारियों से आचार संहिता का कड़ाई से पालन कराने का अनुरोध किया है। साथ ही यह भी कहा है कि चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से होने चाहिए। बसपा नेताओं ने ईसी को एक ज्ञापन सौंपा और चुनाव समय पर कराने की अपील की। सपा ने ज्ञापन देकर अनुरोध किया कि 80 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों तथा दिव्यांग मतदाताओं की सूची विधान सभावार, मतदेय स्थलवार उपलब्ध कराई जाय। राज्य में ऐसे मतदाताओं की संख्या करीब 40 लाख है और 2022 विधानसभा चुनाव में ऐेसे मतदाताओं को पहली बार घर से मतदान का विकल्प दिया जा रहा है।