- किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की जन्मभूमि सिसौली गांव है।
- पश्चिमी यूपी में 10 फरवरी को 58 सीटों पर मतदान होगा।
- 80 के दशक में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का जो आंदोलन खड़ा हुआ उसने भारतीय राजनीति पर बड़ा असर डाला
नई दिल्ली: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण के चुनाव 10 फरवरी को होने वाले हैं। और यह चुनाव किसान आंदोलन (Kisan Andolan) खत्म होने के बावजूद, पूरी तरह से उसके साए में हो रहा है। और इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी, गठबंधन कर जाट (Jat Voter) और मुस्लिम एकता के जरिए भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पटखनी देनी की कोशिश कर रहे हैं।
किसान आंदोलन के दौरान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अहम भूमिका रही है। टिकैत मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले हैं। यह वहीं गांव है जहां से किसान आंदोलन की रणनीतियां भी बनी और तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद राकेश टिकैत का विजयी जुलूस भी पहुंचा। असल में सिसौली हमेशा से किसान गतिविधियों का केंद्र रहा है। इसीलिए उसे किसानों की राजधानी भी कहा जाता है।
महेंद्र सिंह टिकैत की जन्म भूमि
आजादी के बाद सबसे बड़े किसान नेताओं में से एक महेंद्र सिंह टिकैत की जन्मभूमि सिसौली गांव है। और नरेश टिकैत और राकेश टिकैत उन्हीं के बेटे हैं। और वे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में भारत में किसानों का जो आंदोलन खड़ा हुआ उसने भारत ही नहीं पूरी दुनिया पर असर डाला। वह अकेला आंदोलन था, जिसने संसद भवन के पास बोट क्लब पर पहुंच कर राजीव गांधी सरकार को हिला दिया था। टिकैक की सबसे अहम खासियत यह थी कि उन्होंने किसानों को जाति, धर्म और क्षेत्रीयता के खांचे में बंटने नहीं दिया। उनका ही असर है कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन की ज्योति सिसौली में ही रखी हुई है।
2022 में भी असर
इस बार के चुनावों में भी ऐसी ही सरगर्मी सिसौली में दिख रही है। जयंत चौधरी से लेकर भाजपा नेता संजीव बालियान भी सिसौली गांव पहुंच रहे हैं। जिससे कि चुनावों में उनकी नैया पार हो सके। असल में टिकैत परिवार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी बालियान खाप का मुखिया भी है। ऐसे में उनका एक इशारा बड़े पैमाने पर वोटरों को भी प्रभावित कर सकता है। इस वजह से राजनीतिक महत्व भी है।
जाट समुदाय का ये है समीकरण
पश्चिमी यूपी में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होगा। इसमें मुजफ्फरनगर,शामली, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़ आदि प्रमुख जिले हैं। जबकि दूसरे चरण में 14 फरवरी को 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इसमें सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, पीलीभीत प्रमुख जिले हैं। और पश्चिमी यूपी में जाट की करीब 17 फीसदी आबादी है। और इसमें 30-40 सीटों पर जाट वोटर सीधे असर डालते हैं। और उनके लिए किसान आंदोलन के बाद उपजी सहानुभूति से सिसौली का संकेत काफी अहम रहेगा।
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