- काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार होल्कर साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था।
- 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या- मथुरा-काशी के मुक्ति का प्रस्ताव पारित किया था।
- राम मंदिर निर्माण मुद्दे के बाद भारतीय राजनीति में भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ता गया।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कर दिया है। उसके पहले उन्होंने आम आमदी की तरह गंगा में डुबकी लगाई और बकायदा मां गंगा का पूजा-अर्चना की। काशी विश्नवनाथ कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके लिए 5 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में पूरा कॉरिडोर बनाया गया है। मौजूदा काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार होल्कर साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। और उसके लगभग 320 साल बाद बनारस के सांसद और पीएम नरेंद्र मोदी ने मंदिर को आधुनिक रूप दिया है। उत्तर प्रदेश चुनावों के ठीक पहले भाजपा के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन, बड़ा बूस्टर साबित हो सकता है।
स्कंद पुराण में है काशी विश्वनाथ मंदिर का जिक्र
हिंदू परंपरा के अनुसार काशी को भगवान शंकर की नगरी कहा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार उनके मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी है। और बाद में इंदौर की माहारानी अहिल्या बाई होल्कर ने 1770-1780 में काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। और बाद में 1000 किलोग्राम सोने का दान महाराजा रणजीत सिंह ने दिया था। जो कि मंदिर के ऊपरी हिस्से में लगा हुआ है।
1984 में आया था अयोध्या-काशी-मथुरा
90 के दशक में जब राम मंदिर आंदोलन पूरे उफान पर था, तब विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व की ओर से अक्सर एक नारा खास तौर पर लगाया जाता था - 'अयोध्या तो बस झांकी है, काशी-मथुरा बाकी हैं।' विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि 1984 में दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में हुए बैठक में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या- मथुरा-काशी के मुक्ति का प्रस्ताव पारित किया था। और वह अभी भी हमारे एजेंडे मे है। जहां तक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की बात है तो वह विकास का मुद्दा है। हमारा विषय मुक्ति का है। दोनों मुद्दे जुड़े नहीं हैं। अभी हम अयोध्या में राम निर्माण में लगे हुए हैं। जब समय आएगा तो देखेंगे।
5 साल बाद भाजपा ने बनाया था एजेंडा
1984 में विश्व हिंदू परिषद ने जब प्रस्ताव पारित किया था। उस वक्त भाजपा ने राम मंदिर एजेंडे को नहीं अपनाया था। लेकिन उसके 5 साल बाद 1989 में पालमपुर अधिवेशन में भाजपा ने पहली बार राम मंदिर निर्माण मुद्दे को स्वीकार किया था। इस मामले में आरएसएस से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि जब यह मुद्दा समाज का बन गया तो फिर भाजपा ने भी इसे स्वीकार किया। जहां तक काशी विश्वनाथ मंदिर की बात है तो आरएसएस और भाजपा का कभी यह मुद्दा नहीं रहा है। यह विहिप का ही एजेंडा है। अगर आगे समाज ऐसे आंदोलन को स्वीकार करेगा तो उस वक्त फैसले लिए जाएंगे।
केशव प्रसाद मौर्य ने उठाया काशी का मुद्दा
भले ही भाजपा ने अभी तक काशी और मथुरा के मुद्दे को नहीं उठाया हो लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जरूरी चुनावी माहौल में अयोध्या-काशी-मथुरा का मुद्दा छेड़ दिया है। उन्होंने एक दिसंबर को ट्वीट किया कि अयोध्या काशी में भव्य निर्माण जारी है और मथुरा की तैयारी है। साफ है कि भाजपा ने 2022 के चुनावों के पहले हिंदुत्व के पिच पर बैटिंग करनी शुरू कर दी है।
योगी ने इशारों में दिया संकेत
केशव प्रसाद मौर्य की तरह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुलकर काशी-मथुरा की बात तो नहीं की है। लेकिन उन्होंने भी 9 दिसंबर को मथुरा में कहा कि कब्रिस्तान में खर्च होने वाले पैसे से अब तीर्थ स्थलों का विकास कराया जा रहा है। इसके अलावा अयोध्या, मुख्यमंत्री लगातार जाते रहे हैं। साफ है कि भाजपा हिंदुओं को लुभाने के लिए राम मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के मुद्दे उठाएगी।
2 से 312 सीटों तक पहुंची भाजपा
1984 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को केवल 2 सीटें मिली थी। और ऐसा माना जा रहा था कि पार्टी कमजोर हो जाएगी। लेकिन 1989 राम आंदोलन से जुड़ने के बाद भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ता गया। 1989 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को अपनी सबसे बड़ी जीत मिली और उसे 85 सीटें मिलीं। उसके 1991 में 120, 1996 में 161 सीटें जीतकर वह सबसे बड़ा दल बन गई। और 2014 और 2019 में उसे पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता मिली। ऐसे में साफ है कि हिंदुत्व का मुद्दा भाजपा को हमेशा रास आता रहा है। ऐसे में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण को भुनाने से पीछे नहीं हटेगी।