पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे ने कांग्रेस के लिए बड़ा सबक दिया है तो आम आदमी पार्टी को बड़ी जिम्मेदारी दी है क्योंकि पंजाब की त्राहिमाम जनता अपनी परेशानियों से निकलने के लिए एक ऐसे नेता और एक ऐसे शासन मॉडल की तलाश में थी जो अरविंद केजरीवाल और उनके दिल्ली मॉडल ने दे दिया। पंजाब पिछले कुछ वर्षों ड्रग और नशा करने वालों का हब बन गया। यहां के युवाओं में सिंथेटिक ड्रग, आईस ड्रग, हेरोइन, स्मैक, कोकीन, अफीम की लत लग गई थी। पंजाब का हर परिवार इससे परेशान था। उनके बच्चों को इसकी लत गई थी। पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगी होने के कारण वहां से ड्रग्स की सप्लाई आसानी से हो रही थी। यह सब शिरोमणि अकाली दल के शासन के समय से चला आ रहा था। यहां के लोगों ने इन परेशानियों से निजात पाने के लिए वर्ष 2017 के चुनाव में अकाली दल को हराकर कांग्रेस को सत्ता में बैठाया। लेकिन कांग्रेस ने भी निराश किया। उसी दौरान आम आदमी पार्टी पंजाब में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रही है और दिल्ली में उसकी सरकार जनता से किए वादे को पूरा करने में भी सफल हो रही थी। इसका असर वहां की जनता पर पड़ा। लोगों ने 2022 के चुनाव में अपना मन बना लिया कि इस बार आम आदमी पार्टी को मौका दिया जाए।
केजरीवाल का हेल्थ मॉडल
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में ना सिर्फ एजुकेशन पर ध्यान दिया बल्कि हेल्थ को आम आदमी के लिए सुलभ बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। दिल्ली सरकार के तहत आने वाले अस्पतालों में लोगों के इलाज के लिए जरूरी दवाओं की व्यवस्था की, ताकि गरीब आदमी के इलाज में पैसा खर्च करना नहीं पड़े। इतना ही नहीं हर बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी यंत्र की व्यवस्था की गई। अस्पतालों की साफ सफाई पर ध्यान रखा गया। इलाज की अच्छी व्यवस्था की वजह से पास के राज्यों के लोग भी यहां आने लगे। पंजाब के लोग भी यहां इलाज कराने के लिए आने लगे। इसकी चर्चा पंजाब में होने लगी। जिसकी वजह से पंजाब के लोगों ने केजरीवाल मॉडल को पसंद किया।
केजरीवाल का शिक्षा मॉडल
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में जो काम किया। वह एक मिसाल साबित हुआ। यहां की सरकारी स्कूलों इमारतों और बच्चों को पढ़ने के लिए आधुनिक तकनीकी की व्यवस्था, शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने लिए सरकार के विशेष ध्यान ने पंजाब के लोगों के प्रभावित किया।
केजरीवाल का फ्री पानी-बिजली मॉडल
अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली वासियों को प्रतिदिन 700 लीटर फ्री पानी दे रही है और 200 यूनिट तक फ्री बिजली दे रही है। जिससे कम आय वाले लोगों को गुजर बसर करने में काफी राहत मिलती है। पंजाब के लोगों यह काफी प्रभावित किया।
केजरीवाल का बेरोजगारी नियंत्रण मॉडल
गुजरते वक्त के साथ नशे की समस्या के अलावा बेरोजगारी बड़ी समस्या बनती चली गई। यहां के पढ़े लिखे युवाओं रोजगार मिलना कम हो गया। बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत से ज्यादा हो गया। जबकि पास के राज्य हरियाणा में बेरोजगारी दर कम हुई। हायर सेकेंडरी में बेरोजगारी दर 15.8%, डिप्लोमा पास की बेरोजगारी दर 16.4%, पोस्ट ग्रेजुएट की दर 14.1% है। इससे भी यहां के लोगों में असंतोष बढ़ा। दूसरी ओर दिल्ली की सरकार ने रोजगार देने के लिए कई अवसर प्रदान किए।
आम आदमी पार्टी की भारी जीत
उपर्युक्त दिल्ली मॉडल की वजह से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी पंजाब की 117 सीट में से 92 सीट पर फतह कर गई। कांग्रेस 18 सीट पर सिमट गई। एक समय एकछत्र राज करने वाला शिरोमणि अकाली दल पास अब सिर्फ 3 सीटें रह गई हैं। कांग्रेस ने 2017 में विधानसभा चुनाव में 77 सीट जीतकर शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन का शासन खत्म कर दिया था। आप को उस समय 20 सीट और अकाली दल-बीजेपी गठबंधन को 18 सीट मिली थीं।