- जोड़ने का या तोड़ने का है यूपी चुनाव?
- मैनपुरी अखिलेश की ताकत या कमजोरी?
- अखिलेश का परिवार तोड़ रही है बीजेपी?
Sawal Public Ka : आज मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार प्रमोद गुप्ता BJP में शामिल हो गए। अभी कल ही मुलायम की बहू अपर्णा यादव BJP में शामिल हुई थी। कुछ दिनों पहले मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव भी BJP में आए थे। अपने परिवार में मची इस सियासी भगदड़ पर अखिलेश ने तंज किया है कि समाजवादी पार्टी किसी के घर में लड़ाई नहीं कराती। इसीलिए पब्लिक का सवाल है क्या UP चुनाव के लिए अखिलेश यादव का परिवार तोड़ रही है BJP?
BJP समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाती रही है। लेकिन आज अखिलेश को पलटवार का मौका मिल गया। इस चुनाव में योगी सरकार के OBC मंत्रियों को शामिल कराकर तोड़-फोड़ की राजनीति का बड़ा दांव अखिलेश ने ही चला है। अखिलेश..अपने कदम को ये कहकर सही ठहरा रहे हैं कि उन्होंने तो जनाधार वाले नेताओं को अपनी पार्टी में लिया है। जबकि बीजेपी परिवार का बंटवारा करने की कोशिश कर रही है और परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है।
BJP पर अखिलेश का हमला जोरदार है। लेकिन समाजवादी पार्टी परिवारवाद के आरोपों से बचकर नहीं निकल सकती है। मुलायम सिंह के परिवार के 10 से अधिक सदस्य सक्रिय राजनीति करते हैं। मुलायम सिंह यादव पब्लिक के बीच कह चुके हैं कि उन्होंने अपने बेटे अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया। शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव जैसे नेताओं को मुलायम ने बड़ा नेता बनाया।
मुलायम सिंह के भाई-भतीजे ही नहीं, बल्कि रिश्तेदारों तक को राजनीति में जगह दी गई। लेकिन आज जब मुलायम सिंह यादव बीमार हैं, तब उनके कुछ करीबी अखिलेश का साथ छोड़ रहे हैं। आज BJP में शामिल होने से पहले मुलायम के रिश्तेदार प्रमोद गुप्ता का ये आरोप बेहद गंभीर है।
2017 के UP चुनाव से पहले मुलायम का वारिस बनने को लेकर अखिलेश और शिवपाल सिंह यादव के बीच जमकर सियासी लड़ाई हुई थी। हालात यहां तक पहुंचे कि 2018 में शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी का गठन कर लिया। अखिलेश विरासत की इस लड़ाई में ना सिर्फ विजयी हुए..बल्कि इस चुनाव में उन्होंने शिवपाल यादव को अपना गठबंधन साथी बनने पर मजबूर किया है।
अखिलेश आज समाजवादी पार्टी के नंबर वन नेता हैं, लेकिन अपनी राजनीति को मुलायम सिंह की ही लकीर पर आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। यहां तक कि इस बार अखिलेश, मुलायम सिंह यादव के गढ़ से ही चुनाव लड़ सकते हैं। खबर है कि अखिलेश..आजमगढ़ की गोपालपुर सीट से नहीं बल्कि मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ेंगे..हालांकि इसका औपचारिक ऐलान बाकी है।
करहल सीट पर 1993 से अब तक 5 बार समाजवादी पार्टी जीती है। सिर्फ 2002 में BJP यहां से जीती। 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीतने वाले सोबरन सिंह यादव ने ही BJP के टिकट पर 2002 में यहां जीत दर्ज की थी।
सवाल पब्लिक का
1. क्या अखिलेश का परिवार तोड़ रही है BJP?
2. क्या UP चुनाव के लिए BJP को परिवारवाद मंजूर है?
3. OBC मंत्रियों के बदले अखिलेश के परिवार में तोड़फोड़ से BJP को फायदा होगा?
4. UP में जोड़ने की बजाय जोड़-तोड़ की राजनीति का चुनाव हो रहा है?
5. मैनपुरी में समाजवादी पार्टी के लिए सुरक्षित मानी जाने वाली सीट से चुनाव लड़ने का संकेत अखिलेश की ताकत है या कमजोरी?