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UP Election: चौथे चरण में टेनी, किसान से लेकर प्रियंका गांधी फैक्टर का टेस्ट, जानें कौन पड़ेगा भारी

Updated Feb 22, 2022 | 18:46 IST

UP Assembly Election 2022 4th Phase Voting: चौथे चरण के चुनाव में लखीमपुर हिंसा और किसानों के मुद्दे तराई बेल्ट में हावी रहेंगे। जबकि लखनऊ में कानून व्यवस्था और विकास जैसे मुद्दे हावी हैं।

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चौथे चरण में 59 विधानसभा सीटों पर वोटिंग
मुख्य बातें
  • प्रियंका गांधी के लिए चौथा चरण बेहद अहम है। कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में 2017 से बेहतर प्रदर्शन करने की चुनैती है।
  • गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को वोटिंग से पहले मिली जमानत को विपक्ष मुद्दा बना रहा है।
  • चौथे चरण के 9 जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग होगी।

UP Assembly Election 2022 Fourth Phase: 10 फरवरी को शुरू हुआ उत्तर प्रदेश का चुनावी दंगल अब ऐसे पड़ाव पर पहुंच गया है, जहां पर कई सारे फैक्टर की अग्निपरीक्षा होने वाली है। चौथे चरण के 9 जिलों की 59 सीटों पर लखीमपुर खीरी हिंसा, गन्ना भुगतान, प्रियंका गांधी फैक्टर से लेकर कानून-व्यवस्था का मुद्दा हावी रहने वाला है। 2017 में इन 59 सीटों पर भाजपा का बोलबाला रहा था और पार्टी ने 51 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एक सीट पर उसके सहयोगी दल अपना दल (एस) ने जीत हासिल की थी। चौथे चरण में भाजपा के लिए तराई और अवध बेल्ट में 2017 जैसा प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है तो विपक्ष के लिए लखीमपुर हिंसा और उसके बाद गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को मिली जमानत और दूसरे मुद्दों को भुनाने का मौका है। 2017 में इस इलाके से सपा को 4, कांग्रेस ने 2 और बसपा को 1 सीट पर जीत हासिल हुई थी।

इन जिलों में होगा चुनाव

23 फरवरी को चौथे चरण के तहत  पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली,  हरदोई, फतेहपुर, सीतापुर और बांदा जिले की कुल 59 सीटें पर वोट डाले जाएंगे। इसमें 16 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन जिलों में जहां भाजपा अपने सहयोगी दल अपना दल (एस) के साथ चुनाव लड़ रही है। वहीं सपा अपने प्रमुख सहयोगी ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के साथ मैदान में  है। जबकि बसपा और कांग्रेस सभी 59  सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। 

लखीपुर हिंसा हावी, टेनी फैक्टर पर नजर

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में तीन कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों पर गाड़ियां चढ़ा दी गई  थीं। और उसके बाद हुई हिंसा में 4 किसान सहित कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी। किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने का आरोप गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर लगा। उसके बाद जांच के लिए गठित एसआईटी ने भी आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया। लेकिन बीते 10 फरवरी को उसे जमानत मिल गई। इसके बाद से ही यह मुद्दा फिर गरमा गया है। 23 फरवरी को होने वाली वोटिंग में विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है। और पीड़ित परिवारों की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ याचिका दायर की है। विपक्ष मोदी और योगी सरकार पर यह आरोप लगाता रहा है कि ब्राह्मण होने की वजह से अजय मिश्र टेनी का इस्तीफा नहीं लिया गया।

लखीमपुर खीरी जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं। और 2017 में उसे सभी सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि वह 2012 में केवल एक सीट जीत पाई थी। प्रदेश के सबसे बड़े जिले में ब्राह्मण, सिख मुस्लिम और कुर्मी आबादी का अच्छा खास प्रभाव है। और बड़ी आबादी कृषि से जुड़ी हुई है। ऐसे में देखना होगा 23 तारीख को वोटिंग में कौन सा फैक्टर मतदाताओं के ऊपर हावी रहता है।

इसके अलावा पीलीभीत, लखीमपुर खीरी गन्ना बेल्ट का भी हिस्सा है। ऐसे में इस इलाके में गन्ना भुगतान भी अहम मुद्दा है। यूपी सरकार से मिली जानकारी के अनुसार 22 फरवरी तक 2021-22 में करीब 71 फीसदी भुगतान  का हुआ है। जबकि 2020-21 में 99.2 फीसदी भुगतान किया जा चुका है।

प्रियंका गांधी का भी इम्तिहान

चौथे चरण में रायबरेली की सभी छह विधान क्षेत्र में वोटिंग होगी। यह क्षेत्र गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यही से लोकसभा सांसद हैं। ऐसे में पहली बार चुनावी प्रचार की कमान संभाल रही प्रियंका गांधी का इम्तिहान है। पिछली बार रायबरेली की 6 में से 3 सीटों पर भाजपा, 2 पर कांग्रेस और एक सीट पर बसपा को जीत हासिल हुई थी। ऐसे में 2017 के विधान सभा चुनाव और 2019 के खराब प्रदर्शन की भरपाई की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी पर है। इस बार रायबरेली सदर से सीट से कांग्रेस से भाजपा में आई अदिति सिंह के क्षेत्र पर भी सबकी नजर रहेगी। अदिति सिंह ने यह कहते हुए प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी, कि अब रायबरेली कांग्रेस का गढ़ नहीं रहा है।

लखनऊ किसका होगा

चौथे चरण में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सभी 9 सीटों पर वोटिंग होगी। यहां से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सांसद हैं। और 2017 में भाजपा ने लखनऊ की 9 में से 8 सीटें भाजपा ने जीती थीं। जबकि एक सीट सपा को मिली थी। इस बार लखनऊ से कई हाई-प्रोफाइल नेता चुनाव लड़ रहे हैं। जिसमें ईडी के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह भाजपा के टिकट पर,  अनुराग भदौरिया सपा नेता के टिकट पर मैदान में हैं। इसके अलावा योगी सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक की भी प्रतिष्ठा दांव पर है।

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