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UP Assembly Elections 2022: मायावती की नजर में कांग्रेस क्यों वोट कटवा है, कुछ ऐसे समझें

Updated Jan 24, 2022 | 07:09 IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का आगाज 10 फरवरी से होने जा रहा है। पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने ही अंदाज में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए वोटकटवा तक करार दिया।

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UP Assembly Elections 2022: मायावती की नजर में कांग्रेस क्यों वोटकटवा है, कुछ ऐसे समझें

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 कई मायनों में खास है। क्या बीजेपी दोबारा सरकार बना पाने में कामयाब होगी या समाजवादी पार्टी सत्ता छीन पाने में कामयाब होगी। इन दोनों की लड़ाई के बीच बीएसपी और कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहेगा इसका भी फैसला होने वाला है,हालांकि इन दोनों दलों को उम्मीद है कि अब बीजेपी और एसपी के चाल चरित्र और चेहरे को जनता पढ़ चुकी है और उन्हें बेनकाब कर देगी। इन सबके बीच प्रियंका गांधी का सीएम चेहरा वाला बयान सुर्खियों में है। बता दें कि प्रियंका गांधी अपने बयान से किनारा कर चुकी हैं। लेकिन बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मोर्चा खोला है। 

कांग्रेस पर बरसीं मायावती
मायावती ने आगे कहा, "यूपी में लोग कांग्रेस जैसी पार्टियों को वोट-कटर पार्टियों के रूप में देखते हैं। ऐसे में बीजेपी को सत्ता से बाहर करना और ऐसी सरकार बनाना जरूरी है जिसका नेतृत्व सभी के हित में काम करे। वास्तव में, बसपा है इस सूची में नंबर एक।"बसपा प्रमुख की टिप्पणी कांग्रेस महासचिव द्वारा मायावती की अनुपस्थिति को भाजपा के दबाव से जोड़ने के दो दिन बाद आई है। शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए, प्रियंका गांधी ने कहा, "6 से 7 महीने पहले, हम सोचते थे कि वह और उनकी पार्टी अब सक्रिय नहीं हैं, लेकिन वे चुनाव के करीब (सक्रिय) हो जाएंगे। लेकिन हमें आश्चर्य है कि वह है हम चुनाव के बीच में भी सक्रिय नहीं हैं। शायद वह भाजपा सरकार के दबाव में हैं।
कांग्रेस को मायावती बता रही हैं वोटकटवा
मायवती ने एक कदम और आगे बढ़कर कहा कि कांग्रेस के बारे में बातचीत कर समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। यानी कि उनकी नजर में जमीन पर कांग्रेस कहीं नहीं है। कांग्रेस को वोट देने का मतलब अपने वोट की बर्बादी है। अब सवाल यह है कि आखिर वो ऐसा क्यों कह रही हैं। इस विषय पर जानकार कहते हैं कि दरअसल बीएसपी को यूपी में बढ़त कांग्रेस की कीमत पर ही मिली। दलित, ब्राह्मण वोट जो कांग्रेस के पारंपरिक वोट थे वो समय के साथ बीएसपी के पाले में चले गए। जहां तक मुस्लिम मतों का सवाल है तो उनकी प्रतिबद्धता समाजवादी पार्टी के साथ बनी रही। यह बात अलग है कि मुस्लिम समाज रणनीतिक तौर  पर अपने मत का इस्तेमाल करता है। इसका अर्थ यह है कि जो पार्टी बीजेपी को हराने का कुवत रखती है उसके पक्ष में वो मतदान करते हैं। 

'बीएसपी और एसपी की कीमत पर कांग्रेस का उभार'
अब जब मायावती, कांग्रेस को वोटकटवा बता रही हैं तो वो संदेश दलित और ब्राह्मण समाज को दे रही है। अगर 2017, 2019 या 2014 के ट्रेंड को देखें तो बीजेपी, बीएसपी के गैरजादव वोट में सेंध लगाने में कामयाब रही है। अगर कांग्रेस को अपना उभार करना है तो वो समाजवादी पार्टी और बीएसपी की कीमत पर ही कर सकती है, लिहाजा मायावती के बोल कांग्रेस के लिए तीखे होते हैं।