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एक केस ने तबाह कर दी थी बॉलीवुड की पहली आइटम गर्ल की लाइफ, आखिर वक्त में दवाई के लिए भी नहीं थे पैसे

Updated Mar 12, 2020 | 12:12 IST

बॉलीवुड की पहली आइटम गर्ल कुक्कू मोरे 40 और 50 दशक में एक गाने के लिए छह हजार रुपए चार्ज करती थीं। हालांकि, अपने आखिरी वक्त में वह एक-एक रुपए की मोहताज हो गईं। जानिए कुक्कू मोरे की जिंदगी की कहानी...

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Cuckoo Morey
मुख्य बातें
  • 40 के दशक में कुक्कू मोरे फिल्मों में आइटम सॉन्ग की शुरुआत की थी।
  • कुक्कू मोरे ने साल 1946 में फिल्म अरब का सितारा से डेब्यू किया था।
  • 40 और 50 के दशक में एक डांस के लिए छह हजार रुपए तक फीस चार्ज करती थीं।

मुंबई. बॉलीवुड फिल्मों में आइटम सॉन्ग को पॉपुलर बनाने का क्रेडिट हेलन को जाता है। हालांकि, हेलन के आने से कई साल पहले 40 के दशक में कुक्कू मोरे फिल्मों में आइटम सॉन्ग की शुरुआत कर चुकी थी। कक्कू मोरे की कंगाली के वजह से महज 52 साल की उम्र में दुनिया से चली गईं। 

कुक्कू मोरे ने साल 1946 में फिल्म अरब का सितारा से डेब्यू किया था। 40 और 50 के दशक में एक डांस के लिए छह हजार रुपए तक फीस चार्ज करती थीं। ये उस दौर में बहुत बड़ी रकम थी। कक्कू हेलन की भी बहुत अच्छी दोस्त थीं। 

कुक्कू मोरे ने हेलन को फिल्म शबिस्तान और आवारा में बतौर कोरस डांसर मौका दिलवाया था। इसके अलावा उन्होंने एक्टर प्राण को भी फिल्म जिद्दी के जरिए ब्रेक दिलाया था। वह आखिरी बार साल 1963 में रिलीज हुई फिल्म मुझे जीने दो में नजर आईं थीं। 

कुक्कू के पास थी तीन कारें
कुक्कू मोरे एक वक्त काफी लग्जरी वाली लाइफ जीती थीं। कुक्कू के पास तीन कारें रहती थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से एक कार उनके डॉगी के लिए होती थी। वहीं, एक कार उनकी खास दोस्त हेलन के लिए थी। 
 
कुक्कू मोरे 50 के दशक में एक डायरेक्टर के प्यार में पागल हो गई थीं। हालांकि, उन पर आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज हो गया था। इस कारण से उनकी सारी संपत्ति जब्त हो गई थी। इसके बाद वह एक-एक रुपए के लिए मोहताज हो गई थीं। 

कैंसर से हुई मौत 
कुक्कू को अचानक पता चला था कि उन्हें कैंसर है। कुक्कू के पास दवा और पेनकिलर के भी पैसे नहीं थे। ऐसे में वह ट्रीटमेंट तक नहीं करा पाई थीं। यहां तक कि जिस डायरेक्टर से वह प्यार करती थीं उन्होंने भी कुक्कू की मदद नहीं की थी। 

हेलन ने एक इंटरव्यू में कुक्कू के बारे में कहा था कि वह कभी भी नहीं घबराईं थीं। वह हमेशा से ही मुस्कुराती रहती थीं। इतने दुख और तकलीफ झेलने के बावजूद उनकी आंखों में एक भी आंसू नहीं आया था। आखिर में 30 सितंबर 1981 में उनकी मौत हो गई थीं। 

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