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Exclusive: अक्षय कुमार का इतिहास पर सवाल, बोले - 'सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर चार लाइन, मुगलों पर पूरी किताब क्यों?'

Updated May 31, 2022 | 21:14 IST

Akshay Kumar on Samrat Prithviraj: अक्षय कुमार की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज तीन जून को थिएटर पर रिलीज होगी। Times Now Navbharat के शो 'सवाल पब्लिक का' में अक्षय कुमार ने हर विषय पर खुलकर बात की है।

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Akshay Kumar
मुख्य बातें
  • सम्राट पृथ्वीराज तीन जून को रिलीज होने वाली है।
  • अक्षय कुमार पृथ्वीराज चौहान का रोल निभा रहे हैं।
  • अक्षय कुमार ने कहा कि इतिहास की किताबों में हिंदू राजाओं पर केवल चार लाइन हैं।

Akshay Kumar on Samrat Prithviraj: अक्षय कुमार की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज  (Samrat Prithviraj) तीन जून 2022 को रिलीज होने वाली है। फिल्म में अक्षय कुमार सम्राट पृथ्वीराज चौहान के रोल में नजर आने वाले हैं। वहीं पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर राजकुमारी संयोगिता का रोल निभा रही हैं। फिल्म को डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी डायरेक्ट कर रहे हैं। रिलीज से पहले अक्षय कुमार और डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्म की मेकिंग से लेकर इतिहास पर हो रही बहस पर खुलकर बात की है।

Times Now Navbharat के शो 'सवाल पब्लिक का' में एडिटर इन चीफ नाविका कुमार से बातचीत में अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने कहा, 'ये आठवीं क्लास की किताब है। किताब के अंदर सम्राट पृथ्वीराज चौहान और हमारे हिंदू राजाओं के बारे में केवल चार लाइने हैं। वहीं, मुगल साम्राज्य का इतिहास पूरी किताब में भरा हुआ है। हमें इसे धर्म के हिसाब से नहीं बल्कि कल्चर के तौर पर देखना चाहिए। सम्राट पृथ्वीराज चौहान का इतिहास गंगा से होते हुए सोमनाथ मंदिर तक जाता है, इसके बाद वह दिल्ली तक आता है।' 

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इतिहास पर बोले डायरेक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी
सम्राट पृथ्वीराज के डायरेक्टर डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा, 'मैं समझता हूं कि 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस देश को निर्णय करना था कि वह कौन सी चेतना है जिसके आधार पर देश का भविष्य तय होगा। मुझे याद आता है कि फ्रांस के एक विद्वान ने कहा था कि, 'क्या हम आदि गुरु शंकराचार्य के अद्वैत या वेदांत के रास्ते पर चलेंगे। उस समय जो देश चला रहे थे उनके दिमाग में ये बात थी नहीं। इसके बाद सेक्युलरिज्म के नाम पर, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हम लोगों के मन में अपराध बोध पैदा किया गया।'

छिपाई गई ये बातें
डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी आगे कहते हैं, 'हमारा इतिहास वैदिक काल से शुरू होता है। लेकिन, ऐसा क्यों हुआ कि वैदिक काल के इतिहास चाहे वह चंद्रगुप्त मौर्य  की बात करते हैं तो उसमें केवल एक ही पैराग्राफ होता है। ऐसा नहीं है उसके बाद भी हमने सर्वांगीण विकास नहीं किया। जब मैं ऐसा कहता हूं तो इसमें सब आता है चाहे स्थापत्य हो या कला हो, सभ्यता या संस्कृति। लेकिन, जिसने भी ये इतिहास लिखा उन्होंने इन बातों को छिपाया है। अब इतिहास का पुनर्मूल्यांकन हो रहा है क्योंकि, देश में ऐसी सरकार आई है, जो अपने अतीत पर सवाल कर रही है।'

बकौल डायरेक्टर,'हमने अपने इतिहास को कभी जानने की कोशिश नहीं की। अब कुछ फिल्मकारों ने कोशिश की है। जब मैंने अक्षय को कहा कि मैं फिल्म करना चाहता हूं। अक्षय ने कहा कि मैं ये फिल्म तब करुंगा जब इसमें नैरेटिव को बदलने की संभावना हो। अगर ये ऐसा नहीं होता है तो ये एक दूसरी साधारण फिल्म होती।'

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