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गीतकार गुलशन बावरा ने झेला था बंटवारे का दर्द, कलम उठाई तो लिख डाले 'मेरे देश की धरती सोना उगले' जैसे गीत

Updated Sep 20, 2022 | 15:24 IST

फिल्म 'सनम तेरी कसम', 'अगर तुम न होते', 'सत्ते पे सत्ता', 'यह वादा रहा', 'हाथ की सफाई' और 'रफू चक्कर' को अपने गीतों से सजाने वाले गुलशन मेहता (गुलशन बावरा) ने बंटवारे के दौरान अपनी आंखों के सामने अपने पिता और अपने चाचा का कत्ल होते देखा।

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Gulshan Bawara
मुख्य बातें
  • गुलशन बावरा ने हिन्दी फिल्म उद्योग को अपने गीतों से सजाया
  • आज उनके गाने विभिन्न अवसरों के लिए नगीने बन गए हैं
  • उन्होंने सिनेमा के 49 साल में लगभग 250 गीत लिखे

Geetkar ki kahani Story of Lyricist Gulshan Bawra: गुलशन बावरा के नाम से मशहूर फिल्म गीतकार गुलशन मेहता ने हिन्दी फिल्म उद्योग को अपने गीतों से सजाया और आज उनके गाने विभिन्न अवसरों के लिए नगीने बन गए हैं। उन्होंने सिनेमा के 49 साल में लगभग 250 गीत लिखे और सभी गाने आज हिट हैं। अविभाजित भारत के शैखुपुरा (अब पाकिस्तान) में जन्मे गुलशन मेहता को बावरा का उपनाम फिल्म वितरक शांतिभाई पटेल ने दिया था। बाद में पूरा फिल्म उद्योग उन्हें इसी नाम से पुकारने लगा। 

लाहौर के करीब गांव शेखूपुरा में जन्मे गुलशन ने अपनी आंखों के सामने अपने पिता और अपने चाचा का कत्ल होते देखा। उनकी बहन जयपुर में थीं और वह गुलशन को अपने पास ले आईं। यहां आकर वह दिल्ली आए और डीयू से पढ़ाई के दौरान शायरी करने लगे। इसके बाद वह वेस्टर्न रेलवे में क्लर्क बनकर मुंबई आ गए। 

यह बात 1955 की है। मुंबई में वह क्लर्क की नौकरी तो करते लेकिन दिल फिल्मों के लिए गीत लिखने में लगता। अभी उनके संघर्ष के दिन थे और एक दिन इसी संघर्ष ने उन्हें संगीतकार कल्याण वीरजी शाह से मिलवाया।  कल्याणजी ने गुलशन बावरा को फिल्म चंद्रसेना से ब्रेक दिया। उनका लिखा पहला फिल्मी गीत 'मैं क्या जानू काहे लागे ये सावन मतवाला रे' 23 अगस्त 1958 को रिकॉर्ड किया और इसे आवाज दी लता मंगेशकर ने। कल्याणजी आनंदजी के संगीत से सजी फिल्म "सट्टा बाजार" में गुलशन बावरा ने 3 गीत लिखे थे। इन गीतों के लिए पहले शैलेंद्र, हसरत जयपुरी, इंदीवर से बात हो गई थी लेकिन जब शांतिभाई पटेल (फिल्म के वितरक) ने गुलशन मेहता के गीत सुने तो वह बेहद प्रभावित हुए। 

ऐसे मिला बावरा उप नाम

गुलशन उस समय रंग बिरंग कपड़े पहने हुए थे और उनका स्वभाव देखकर शांतिभाई ने उनके नाम के साथ बावरा जोड़ दिया। बस तभी से वह गुलशन बावरा हो गए। इसके बाद उन्होंने कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में 69 गीत लिखे। जबकि, आर॰ डी॰ बर्मन के साथ 150 गीत लिखे थे। उन्होंने फिल्म 'सनम तेरी कसम', 'अगर तुम न होते', 'सत्ते पे सत्ता', 'यह वादा रहा', 'हाथ की सफाई' और 'रफू चक्कर' को अपने गीतों से सजाया था। बावरा को फिल्म 'उपकार' में 'मेरे देश की धरती' और फिल्म 'जंजीर' में 'यारी है ईमान मेरा' गीत के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। 

मनोज कुमार के लिए काम

मनोज कुमार ने फिल्म उपकार तब के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की फरमाइश पर बनाई थी। इस सुपरहिट फिल्म में गुलशन बावरा का लिखा गीत मेरे देश की धरती आज भी राष्ट्रीय पर्वों पर खूब सुना जाता है। इस गाने के लिए गुलशन को फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। अमिताभ बच्चन और प्राण की दमदार अदाकारी वाली फिल्म ज़ंजीर का गाना दीवाने हैं दीवानों को न घर चाहिए मशहूर गीतकार गुलशन बावरा ने ही लिखा। 

12 अप्रैल 1938 को जन्मे गुलशन बावरा ने 7 अगस्त 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। मुंबई के पालीहिल स्थित निवास में लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ था। उनके इच्छानुसार उनके मृतदेह को जेजे अस्पताल को दान किया गया था।

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