Geetkar Ki Kahani Sameer Anjaan: समीर अनजान, एक ऐसा नाम जो हिंदुस्तान में किसी के लिए अनजान नहीं है। हिंदुस्तान में रहने वाले लोग उनके गानों को सुनकर और गुनगुनाकर मोहब्बत का इजहार करते हैं। एक ऐसा गीतकार जिसे यह कला विरासत में मिली और लेकिन उसने अपने पिता के द्वारा खींची गई लकीर से भी लंबी लाइन खींच दी। उसके नाम दर्ज है हिंदी सिनेमा में सर्वाधिक गीत लिखने का रिकॉर्ड।
1991 में आई फिल्म साथी के गाने 'जिंदगी की तलाश में हम, मौत के कितने पास आ गए' से लेकर साजन फिल्म के गाने 'मेरा दिल भी कितना पागल है' और 'बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम' तक, उसी की कलम से निकले। संजय दत्त, सलमान खान और माधरी दीक्षित अभिनीत इस फिल्म के सारे गाने समीर की कलम से ही रचे गए। गाना 'देखा है पहली बार, साजन की आंखों में प्यार', 'जीएं तो जीएं कैसे, बिन आपके' समीर के ही गीत हैं।
फिल्म आशिकी के गाने 'बस एक सनम चाहिए', 'नजर के सामने', 'दिल का आलम', 'धीरे धीरे से' समीर ने ही लिखे और इस फिल्म को जबरदस्त हिट कराने में योगदान दिया। समीर ने 30 सालों के सफ़र में क़रीब 650 फिल्मों में क़रीब 4000 गाने लिखे हैं। किसी भी गीतकार ने अब तक इतने गाने नहीं लिखे। उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज है।
समीर का जन्म 24 फरवरी 1958 को बनारस के करीब ओदार गांव में लालजी पांडेय के घर में हुआ था। वही लालजी पांडेय जिन्हें हिंदी सिनेमा गीतकार अनजान के नाम से जानता है। वही अनजान जिन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन के गाने 'खइके पान बनारस वाला' से लेकर फिल्म मुकद्दर का सिकंदर के गाने 'दिल तो है दिन' तक, शराबी फिल्म के गाने 'लोग कहते हैं मैं शराबी हूं' से लेकर याराना फिल्म के गाने 'छूकर मेरे मन को...' तक, एक से बेहतर एक सदाबहार नगमे दिए।
असली नाम से अनजान हैं फैंस
समीर की परवरिश गीतों की बगिया में हुई तो उन्हें भी गीत लिखने का हुनर आ गया। अक्सर कहा जाता है कि पिता जो लकीर खींच दे तो बेटे के लिए उससे बड़ी लकीर खींचना मुश्किल हो जाता है लेकिन समीर ने अपने पिता के नाम को और रौशन किया। समीर का असली नाम शिताला पांडेय है। वह एक बैंक में नौकरी करते थे। उनके पिता नहीं चाहते कि वो फिल्मी उद्योग में आए क्योंकि उन्होंने खूब संघर्ष किया था। लेकिन समीर का ध्यान उसी तरफ था और 1980 में वो मुंबई चले गए।
इन फिल्मों से मिली पहचान
उन्हें सबसे पहले 1983 की फिल्म बेखबर में गीत लिखने का अवसर मिला था। इसके बाद उन्होंने कई बड़ी फिल्मों में गीत लिखें जिसमें इंसाफ कौन करेगा (1984), जवाब हम देंगे (1987), दो कैदी (1989), रखवाला (1989), महासंग्राम (1990) और बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी (1990) शामिल हैं लेकिन उनको प्रसिद्धि और पहचान 1990 की दो फ़िल्मों दिल और आशिकी से मिली। उन्होंने इन फिल्मों के संगीतकार आनंद-मिलिंद और नदीम-श्रवण के साथ कई प्रशंसित और लोकप्रिय गीतों की रचना की।
पुरस्कारों की फेहरिस्त लंबी है
समीर अनजान को सिनेमा जगत के लगभग हर बड़े पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया है। फिल्म हम हैं राही प्यार के में शामिल गाने 'घूँघट की आड़ से', दीवाना फिल्म के गाने 'तेरी उम्मीद तेरा इंतजार' और आशिकी फिल्म के गाने 'नजर के सामने' को फिल्मफेयर मिल चुका है। इतना ही नहीं, उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा सम्मान यश भारती भी मिला है, वहीं उन्हें किशोर कुमार सम्मान से भी नवाजा गया है।