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Exclusive: इस गीतकार की कलम से निकला मरजावां का गाना 'तुम ही आना', गीत सुनकर पिता की आंखों में आ गए थे आंसू

Updated Oct 11, 2019 | 15:28 IST

Lyricist of Tum Hi Aana Kunaal Verma Exclusive: अपकमिंग फिल्म मरजावां का गाना 'तुम ही आना' इन दिनों हर किसी की जुबां पर है। जब यह गाना इसके लेखक कुणाल वर्मा के पिता ने सुना तो वह रो दिए थे।

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Kunaal Vermaa Lyricist

Lyricist of Tum Hi Aana Kunaal Verma Exclusive: आठ नवंबर को रिलीज होने वाली बॉलीवुड एक्‍टर सिद्धार्थ मल्‍होत्रा, तारा सुतारिया और रितेश देशमुख की फिल्म मरजावां का गाना 'तू ही आना' इन द‍िनों हर किसी की जुबां पर छाया हुआ है। सोशल मीडिया से लेकर यूट्यूब तक पर यह गाना दिल को छू रहा है। सिद्धार्थ और तारा पर फिल्माया गया ये गाना युवा गीतकार कुणाल वर्मा की कलम से निकला है। जयपुर के रहने वाले कुणाल ने 'घर से निकलते ही', 'हंसी बन गए', 'तू मिला तो है ना' जैसे गानों को अपनी कलम से पन्‍ने पर उतारा है। कोई शक नहीं कि कुणाल इतना मीठा लिखते हैं कि उनके लिखे गीत दिल में घर कर जाते हैं। 

गीतकार कुणाल वर्मा द्वारा लिखे गए इस गाने को सिंगर जुबीन नौटियाल ने आवाज दी है और पायल देव ने इसे कंपोज किया है। तीनों ने मिलकर ऐसा समां बांधा है कि यह गाना यूट्यूब पर टॉप पर पहुंच गया। इस गाने को अब तक 33 मिलियन बार देखा जा चुका है। टाइम्‍स नाउ हिंदी ने बात की गीतकार कुणाल वर्मा से और जाना कि कैसे आया इस गाने को ख्‍याल और कैसे उन्‍होंने गाने लिखने की राह चुनी। पेश है उनसे हुई बातचीत का अंश-

सवाल: कुछ दिन पहले रिलीज हुआ गाना यूट्यूब पर ट्रेंड में है, लगभग 33 मिलियन से ज्‍यादा लोग इसे सुन चुके हैं। उस गाने के लेखक के रूप में आपको कितनी खुशी हो रही है?
जवाब:
जब आपका लिखा गाना पन्‍नों पर आता है और उसके बात वह लोगों की जुबां पर पहुंचता है तो उससे बड़ी खुशी एक गीतकार के लिए कुछ नहीं हो सकती है। हां, मुझे लाखों-करोड़ों व्‍यूज से खास फर्क नहीं पड़ता है, मैं चाहता हूं कि मेरा गाना हमेशा लोगों के बीच पसंद किया जाए।

सवाल: मरजावां के लिए यह गाना लिखने का मौका आपको कैसे मिला, क्‍या यह गाना आपने पहले से लिखा हुआ था?
जवाब: यह वाकया देर रात का है। मैं नींद में था लेकिन सोने से पहले मैंने मोबाइल में ही इस गाने की दो लाइनें लिखी थीं और मैं सो गया। सुबह जब मैं उठा तो मुझे याद आया कि रात में मैंने कुछ लिखा था। खुशकिस्‍मती थी कि मोबाइल में वह सेव था। उसके बाद मैंने कुछ और लाइनें आगे लिखीं और यह लाइनें पायल देव (जिन्‍होंने यह गाना गाया है) को भेजीं। उसके बाद तुरंत कंपोजर आदित्‍य देव जी से मुलाकात हुई, तो यह गाना मरजावां के लिए फाइनल हुआ। 

सवाल: गीत लिखने की शुरुआत कैसे हुई?
जवाब: मैं जब कॉलेज में था तो शायरी सुनने और उन्‍हें महसूस का शौक था। धीरे-धीरे कुछ कुछ लिखने लगा और वह दोस्‍तों को पसंद आने लगा। एम फराज, निदा फाजली, मीर साहब की शायरियां मुझे बेहद पसंद हैं। मैंने लिखना शुरू किया और मेरा पहला गाना आया - हंसी बन गए। इस गाने को भरपूर प्‍यार मिला और मेरा हौंसला बढ़ गया। उसके बाद मैंने ये राह पकड़ ली। एक बात और कहना चाहता हूं कि मैं यंग एज राइटिंग करता हूं लेकिन चलाऊ काम नहीं करता। मैं चाहता हूं कि जब गाना कोई सुने तो पूछे कि ये लिखा किसने है? यही वजह है कि मैं उर्दू का इस्‍तेमाल करता हूं और मेरे गीतों में शायरी दिखती है।

सवाल: मरजावां के गाने 'तुम ही आना' के लिए सोशल मीडिया पर आपको खूब तारीफें मिल रही हैं। कोई ऐसी तारीफ जो आपके लिए बहुत मायने रखती है?
जवाब: सोशल मीडिया के हर प्‍लेटफॉर्म और मेरे मोबाइल पर इस गाने को इतनी तारीफें मिली हैं जो आज तक किसी दूसरे गाने को नहीं मिली। लेकिन दो घटनाएं में बताना चाहता हूं और दोनों मेरे लिए बहुत खास हैं। मेरे पापा जयपुर रहते हैं। उन्‍होंने कभी मुझसे ये नहीं कहा कि तुम बहुत अच्‍छा लिखते हो। जब मैंने ये गाना लिखा तो मैं जयपुर गया और पापा से मिला। मैंने उन्‍हें ये गाना सुनाया और आप यकीन करें, गाना खत्‍म होते होते वह रो दिए। उन्‍होंने मेरी तरफ देखा भी नहीं और मेरे कंधे पर हाथ रखकर वहां से चले गए। जाते-जाते उन्‍होंने कहा- तुम बहुत अच्‍छा लिखते हो। वहीं एक मेरा बचपन का दोस्‍त है। उसके पापा गुजर गए थे, वह तब भी नहीं रोया। मैंने कभी उसे उदास नहीं देखा, हमेशा मुस्‍कुराते देखा। जयपुर एयरपोर्ट पर वह मुझे लेने आया था। मैंने रास्‍ते में उसे ये गाना सुनाया। कार साइड में लगी थी और उसने आंख बंद कर यह गाना सुना। उसके बाद वो अपने पापा को याद कर पहली बार खूब रोया। उसने कहा था कि क्‍या लिख दिया है यार।

सवाल: इस गाने से कितनी उम्‍मीदें हैं और भविष्‍य में खुद के लिए क्‍या योजनाए हैं?
जवाब: मैं चाहता हूं कि मेरा यह गीत संतोष आनंद जी के गीत 'एक प्‍यार का नगमा है' की तरह अमर हो जाए। वहीं मैं चाहता हूं कि मेरे लिखे किसी गीत को ए आर रहमान साहब की आवाज मिल जाए।

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