- सुशांत सिंह राजपूत अपनी मम्मी के बेहद करीब थे।
- सुशांत ने अपनी मम्मी की याद में अपनी पीठ पर एक खास टैटू गुदवाया था।
- सुशांत ने खुद अपने टैटू का मतलब भी बताया था।
मुंबई.सुशांत सिंह राजपूत पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। हालांकि, अभी भी उनके चाहने वालों और करीबी इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि वो अब इस दुनिया में नहीं हैं। सुशांत जब महज 16 साल के थे तो उनकी मम्मी का निधन हो गया था। हालांकि, मां से जुड़ी यादों को उन्होंने आखिरी वक्त तक सहजकर रखा। इनमें से एक है उनके शरीर पर गुदा टैटू।
सुशांत ने साल 2016 में ये टैटू अपनी पीठ पर गुदवाया था। इस टैटू में पंचतत्व बने हुए हैं। टैटू की फोटो शेयर करते हुए सुशांत ने लिखा था- ' 'पहला टैटू, पंचतत्व, मां और मैं।' इसे टैटू आर्टिस्ट समीर पतंगे ने डिजाइन किया था।
सुशांत ने बताया था कि टैटू में पंचतत्व के बीच वह और उनकी मां हैं। सुशांत सिंह राजपूत पहले इसे अपनी गर्दन में गुदवाने वाले थे। बाद में बहन के कहने पर उन्होंने अपनी पीठ पर इसे गुदवाया। वहीं, इस टैटू का आइडिया उन्हें उनकी बहन ने ही दिया था।
मां को समर्पित थी आखिरी पोस्ट
सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी पोस्ट उनकी मम्मी को ही समर्पित थी। सुशांत ने तीन जून को अपनी और अपनी मां की फोटो शेयर की थी। उन्होंने साथ ही कैप्शन में एक दर्द भी कविता लिखी थी।
सुशांत ने पोस्ट में लिखा, 'आंसुओं से धुंधलाता अतीत धुंधलाता हुआ, मुस्कुराते हुए और एक क्षणभंगुर जीवन को संजोने वाले सपनों में, दोनों के बीच बातचीत #मां। इससे पहले सुशांत ने मां की याद में अपने ट्विटर प्रोफाइल पर एक हाथ से लिखा हुआ लेटर शेयर किया था।
मां के निधन पर नहीं रोए थे सुशांत
सुशांत सिंह राजपूत अपनी मम्मी के निधन पर नहीं रोए थे। DNA से बातचीत में उन्होंने खुलासा किया था। सुशांत ने कहा था- 'आपको यकीन होगा अगर मैं कहूं कि जब उनका निधन हुआ था मैं रोया नहीं था? मैं सोच रहा था कि मैं रो क्यों नहीं रहा हूं।'
बकौल सुशांत- 'अब मैं जब देखता हूं तो पता चलता है कि हम तब रोते हैं जब काफी बड़ा लॉस होता है। अपनी मम्मी की मौत को स्वीकार कर लिया था। उन्हें पता था कि वह कभी भी वापस नहीं लौटकर आएंगी। मम्मी के निधन के बाद वह पूरी तरह से बदल गए और वहां से एक अलग शख्स बन गए थे।'