- 70 साल की उम्र में राहत इंदौरी का निधन
- हमेशा के लिए शांत हो गया शायरी का समंदर
- कुमार विश्वास ने जताया शोक
Rahat Indori Dies: मशहूर और हर दिल अजीज शायर राहत इंदौरी का हॉर्ट अटैक से निधन हो गया है। आज सुबह ही उन्होंने ट्वीट कर कोरोना पॉज़िटिव होने की जानकारी दी थी। उनके निधन से शायरी का समंदर शांत हो गया। मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मे राहत साहब एक शायद ही नहीं बल्कि एक पूरा विश्वविद्यालय थे। उनके निधन से उनके चाहने वालों में शोक व्याप्त हो गया है और सोशल मीडिया पर यूजर्स श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
राहत इंदौरी का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहा हुआ था। वे उन दोनों की चौथी संतान हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया। 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
राहत इंदौरी के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से निधन की पुष्टि की गई है। उनके ट्विटर से कहा गया- राहत साहब का Cardiac Arrest की वजह से आज शाम 05:00 बजे इंतेक़ाल हो गया है! उनकी मग़फ़िरत के लिए दुआ कीजिये!
फेफड़ों में निमोनिया था
छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बताया, "इंदौरी के दोनों फेफड़ों में निमोनिया था और उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था।"
उन्होंने बताया, "सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें आईसीयू में रखा गया था और ऑक्सीजन दी जा रही थी। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद हम उनकी जान नहीं बचा सके।"
आज सुबह किया था ट्वीट
राहत इंदौरी ने 11 अगस्त को सुबह ट्वीट किया था- कोविड के शरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी है। ऑरबिंदो हॉस्पिटल में एडमिट हूं। दुआ कीजिये जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं। एक और इल्तेजा है, मुझे या घर के लोगों को फ़ोन ना करें, मेरी ख़ैरियत ट्विटर और फेसबुक पर आपको मिलती रहेगी।
कुमार विश्वास ने जताया शोक
राहत इंदौरी के निधन पर कवि डॉ. कुमार विश्वास ने शोक जताते हुए लिखा- हे ईश्वर ! बेहद दुखद ! इतनी बेबाक़ ज़िंदगी और ऐसा तरंगित शब्द-सागर इतनी ख़ामोशी से विदा होगा,कभी नहीं सोचा था ! शायरी के मेरे सफ़र और काव्य-जीवन के ठहाकेदार क़िस्सों का एक बेहद ज़िंदादिल हमसफ़र हाथ छुड़ा कर चला गया!