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सलमान खान की अंदाज अपना अपना का हिस्सा रहे Ishwar Bidri का हुआ निधन, बॉर्डर-बंटवारा जैसी फिल्मों में किया काम

Updated Dec 28, 2020 | 14:52 IST

Andaz apna apna cinematographer Ishwar Bidri Death: कई स्वास्थ्य परेशानियों से जूझ रहे ईश्वर बिदरी का रविवार को निधन हो गया। 87 साल के ईश्वर के निधन की पुष्टि उनके बेटे संजीव बिदरी ने की...

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ईश्वर बिदरी।
मुख्य बातें
  • बॉलीवुड सिनेमैटोग्राफर ईश्वर बिदरी का निधन हो गया है।
  • ईश्वर बिदरी ने अंदाज अपना अपना और बॉर्डर जैसी कई फेमस फिल्मों में अपना योगदान दिया।
  • अंदाज अपना अपना और बॉर्डर जैसी कई फेमस फिल्मों में

बॉलीवुड के जाने माने सिनेमैटोग्राफर ईश्वर बिदरी का निधन हो गया है। साल 1990 की कुछ क्लासिक जैसे कि सलमान खान की अंदाज अपना अपना और बॉर्डर जैसी कई फेमस फिल्मों में ईश्वर बिदरी ने अपना योगदान दिया। रविवार को कई स्वास्थ्य परेशानियों से जूझ रहे ईश्वर बिदरी का निधन हो गया। ईश्वर बिदरी 87 साल के थे।

पीटीआई से बातचीत में ईश्वर के बेटे संजीव बिदरी ने इस दुर्भाग्यपूर्ण समाचार की पुष्टि की है। संजीव बिदरी ने बताया कि जब हमारा पूरा परिवार एक वेडिंग समारोह अटेंड करने गया था, तब पिता को वहां कार्डियक अरेस्ट आया। सिनेमैटोग्राफर ईश्वर बिदरी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी।

संजीव बिदरी ने बताया, 'उन्हें 20 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगाम में एक शादी समारोह में कार्डियक अरेस्ट हुआ था। हम तुरंत उन्हें केएलईएस अस्पताल ले गए। उन्हें फिर से अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट हुआ। उनकी उम्र को देखते हुए कार्डियक अरेस्ट से कई स्वास्थ्य परेशानियां हो गईं। रविवार सुबह 9.50 बजे उनका निधन हो गया।' 

आपको बता दें, ईश्वर बिदरी फिल्म निर्माता जेपी दत्ता के साथ एक स्पेशल बॉन्ड शेयर करते रहे हैं। दोनों ने साथ में यतीम, हथियार, बंटवारा और बॉर्डर जैसी कई फिल्मों में साथ काम किया। जेपी दत्ता भी ईश्वर बिदरी के बारे में बात करते हुए बेहद इमोशनल हो गए। उन्होंने बताया कि ईश्वर को अपनी टीम की एक 'महान संपत्ति' मानते थे जो कि धीरे धीरे उनके परिवार के सदस्य बन गए।

जेपी दत्ता ने बताया, 'यह एक बहुत लंबी यात्रा रही है, हमने 1976 में शुरुआत की थी। मेरी पहली फिल्म सरहद को कभी उतनी पॉपुलैरिटी नहीं मिली। फिर हमने गुलामी, यतीम, बंटवारा, हथियार और बॉर्डर में काम किया। वह एक सभ्य और ईमानदार आदमी थे। वो सबसे मेहनती कैमरामैन थे जिनके साथ मैंने अब तक काम किया। गुरुदत्त साहब के सिनेमा स्कूल से आने के बाद, वह मेरे लिए बहुत बड़ी संपत्ति थे। मैं उनसे बहुत जूनियर था। उन्होंने एक फिल्म निर्माता के तौर पर मेरी पूरी जर्नी को और मुझे बड़े होते हुए देखा था। वह चाय के लिए ऑफिस आते थे और परिवार की तरह थे।'

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