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Birthday: 1947 के दंगों में मुस्लिम ने की थी Sunil Dutt की हिफाजत, रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारी थीं रातें

Updated Jun 06, 2021 | 07:42 IST

Sunil Dutt Unknown Facts: बलराज दत्त उर्फ सुनील दत्त का आज 92वां बर्थडे है। देश के बंटवारे के बाद सुनील दत्त को घर छोड़ना पड़ा था, उस दौरान एक मुस्लिम ने उनकी मदद की थी। जानिए एक्टर की दिलचस्प बातें...

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Sunil Dutt
मुख्य बातें
  • सुनील दत्त का आज 92वां बर्थडे है।
  • सुनील दत्ता का असली नाम बलराज दत्त था।  
  • देश के बंटवारे के दौरान मुस्लिम परिवार ने की सुनील दत्त की हिफाजत।

मुंबई. एक्टर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुनील दत्त का आज 92वां बर्थडे है। सुनील दत्त का जन्म 6 जून  1929 को झेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनका असली नाम बलराज दत्त था। सुनील दत्त को बड़ा ब्रेक साल 1955 में आई फिल्म रेलवे स्टेशन से मिला था। 

सुनील दत्त महज पांच साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया था। साल 1947 में जब देश के बंटवारे के दौरान सांप्रदायिक दंगों की आग सुनील दत्त के घर तक आ पहुंची थी। 

दंगों को दौरान उनके पिता के दोस्त रहे याकूब नाम के एक मुस्लिम ने ही उनके परिवार की हिफाजत की थी। उनके परिवार को हरियाणा के यमुनानगर जिले के एक छोटे से गांव मंडौली में बसाया गए। बाद में वह लखनऊ और फिर मुंबई  आ गए। 

फुटपाथ में गुजारे दिन
सुनील दत्त ने मुंबई के जय हिंद कॉलेज में दाखिला ले लिया था। सुनील दत्त को अपने शुरुआती दिन मुंबई के फुटपाथ पर बिताने पड़े थे। सुनील दत्त ने बेस्ट ट्रांसपोर्ट डिविजन में जॉब भी किया। बाद में उन्होंने  रेडियो सीलोन में बतौर अनाउंसर की नौकरी की थी। 

रेडियो अनाउंसर के रूप में सुनील दत्त बेहद पॉपुलर हुए। इसके बाद साल 1955 में उन्हें फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म फिल्म मिली। हालांकि, उन्हें पहचान साल 1957 में आई फिल्म मदर इंडिया में बिरजू के किरदार से मिली। इस फिल्म में नरगिस लीड एक्ट्रेस थीं। 

आमिर खान ने सुनाया किस्सा
सुनील दत्त ने  80 के दशक के आखिर में राजनीति में कदम रखा। इस दौरान वह मुंबई नॉर्थ ईस्ट से सांसद रहे थे। साल 1993 में मुंबई दंगों के दौरान वह सड़कों में जाकर दंगा पीड़ितों की मदद किया करते थे। यही नहीं, आमिर खान भी सड़कों में उनके साथ सड़कों पर रात बिताते थे।

आमिर खान ने एक इंटरव्यू में कहा, - 'हम सबने यह फैसला लिया था कि मंत्रालय के पास लगी गांधी प्रतिमा के पास बैठकर प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन तब तक जारी रखना था, जब तक कि दंगे नहीं रुक जाते थे। पूरी रात दत्त साहब, यश चोपड़ा  के करियर से जुड़ी कहानियां सुनते-सुनते बीती।'

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