- दिबाकर बनर्जी द्वारा लिखित है फिल्म संदीप और पिंकी फरार
- बैंक करप्शन केस में फंसी संदीप को बचाते हुए दिख रहे हैं पिंकी
- प्यार और तकरार के बीच में फंसे हैं परिणीति और अर्जुन के किरदार
Sandeep aur pinky faraar movie review: दिबाकर बनर्जी की बहुप्रतीक्षित फिल्म संदीप और पिंकी फरार रिलीज हो चुकी है। यह परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर स्टारर ब्लैक-कॉमेडी फिल्म है। दोनों फिल्मी सितारों का किरदार एक दूसरे से विपरीत है लेकिन अंत में क्या यह दोनों एक दूसरे के हो पाएंगे यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर के साथ इस फिल्म में कई अन्य एक्टर और एक्ट्रेसेज ने भी काम किया है जिनमें पंकज त्रिपाठी, जयदीप अहलावत, रघुबीर यादव, नीना गुप्ता, संजय मिश्रा, अर्चना पूरन सिंह, अनन्य खरे, अमृता पुरी और शीबा चड्ढा शामिल हैं। परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर के अलावा यह सभी कलाकार सहायक की भूमिका में नजर आ रहे हैं। इस फिल्म की शूटिंग 2017 के नवंबर महीने में शुरू हो गई थी और 2018 में यह फिल्म बनकर तैयार हो गई थी। 2020 में इस फिल्म को रिलीज होना था लेकिन कोरोनावायरस के चलते इस फिल्म की रिलीज डेट को टालना पड़ा था।
क्या है इस फिल्म की कहानी?
संदीप और पिंकी फरार फिल्म में परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर ऐसे किरदार में दिख रहे हैं जो उनके कंफर्ट जोन से बिल्कुल बाहर है। परिणीति चोपड़ा कॉरपोरेट वर्ल्ड में काम करने वालीं एक सक्सेसफुल बैंकर हैं जिनका नाम इस फिल्म में संदीप वालिया है, लोग उन्हें सैंडी कहकर पुकारते हैं। दूसरी ओर, अर्जुन कपूर इस फिल्म में हरियाणवी पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहे हैं जिन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। परिणीति चोपड़ा यानी सैंडी को उनके ही बॉस ने एक बैंक करप्शन केस में फंसा दिया है जिससे अपनी जान छुड़ाने के लिए संदीप कड़ी मशक्कत कर रही हैं। संदीप का साथ हरियाणवी पुलिस ऑफिसर पिंकी ने दिया है। इस फिल्म का क्लाइमैक्स परत दर परत खुल रहा है तो यह देखना बहुत रोचक है कि क्या अंत में संदीप और पिंकी हमेशा के लिए एक दूसरे के हो पाएंगे या नहीं।
कैसी है इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी?
इस फिल्म के नाम की तरह इस फिल्म की कहानी भी जटिल रास्तों और चट्टानों से भरी हुई है। यह फिल्म एक रहस्यपूर्ण डार्क कॉमेडी है जो इस फिल्म का प्लस पॉइंट है। शुरुआत से लेकर इंटरवल तक यह फिल्म साजिशों के वजह से दर्शकों को बांधने में सक्षम रही है। फर्स्ट हाफ में यह पता चलने लगता है कि सैंडी का बॉस उसे कैसे, क्या और क्यों बैंक करप्शन के केस में फसा रहा है और किस तरह सैंडी अपने आप को इस चंगुल से छुड़ाने की कोशिश में लगी हुई है। लेकिन इस फिल्म का सेकंड हाफ लोगों की उम्मीद पर खरा नहीं उतर रहा है।
सेकंड हाफ में यह फिल्म परत दर परत अपने रहस्यों को खोल रही है जो लोगों को आश्चर्यजनक नहीं लगी। इस फिल्म के जरिए बनर्जी ने कई धागों को एक में पिरोने की कोशिश की है लेकिन कहीं ना कहीं कमी जरूर रह गई है। इस फिल्म के जरिए दिबाकर बनर्जी ने बैंक करप्शन केसेज पर जोर डालने की कोशिश की है जिसके चलते कई लोगों को बेघर होना पड़ता है। इस फिल्म के लेखनी के वजह से कई अच्छी चीजें पीछे रह गईं। अनिल मेहता ने अपने बेहतरीन फोटोग्राफी शैली की मदद से इंडो-नेपाल बॉर्डर के कुछ बेहद खूबसूरत सीनरी को इस फिल्म में इस्तेमाल किया है।
कैसा था कलाकारों का प्रदर्शन?
इस फिल्म के जरिए परिणीति चोपड़ा अपने एक्टिंग स्किल को साबित करने में सक्षम रही हैं। इस फिल्म में अपने कैरेक्टर को जीने के लिए परिणीति चोपड़ा को कई मौके हासिल हुए जिनका उन्होंने बखूबी उपयोग किया है। सैंडी का किरदार लोगों को काफी पसंद आया लेकिन इस फिल्म के नरेशन के चलते किरदारों को कहीं ना कहीं खामियां भुगतनी पड़ी हैं। इस फिल्म से यह पता चल रहा है कि अर्जुन कपूर को अभी और मेहनत करने की जरूरत है। कुछ हिस्सों में अर्जुन कपूर अपने कंफर्ट जोन से बाहर जाने में सक्षम थे लेकिन अभी उन्हें और मजबूत बनने की जरूरत है।
बाकी किरदारों की अगर बात करें तो रघुबीर यादव और नीना गुप्ता ने सहायक के तौर पर मुख्य कलाकारों का काफी साथ दिया है। जयदीप अहलावत की एक्टिंग भी सराहनीय थी लेकिन उनके किरदार में कुछ ऐसा नहीं था जिसे लोग याद रख सकें। इस फिल्म में अनु मलिक द्वारा एक ही गाना है। इसके अलावा इस फिल्म का बैकग्राउंड सॉन्ग भी काफी अच्छा और मधुर है लेकिन नरेशन के चलते लोगों का ध्यान उस पर नहीं जा रहा है। धीरे-धीरे रहस्यों से पर्दा उठने के चलते हो सकता है कि लोग बीच में ही इस फिल्म को अधूरा छोड़ कर चले जाएं।