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Sherdil the Pilibhit Saga Review: कमजोर कहानी का मजबूत किरदार पंकज त्रिपाठी, जानें कैसी है 'शेरदिल'

Updated Jun 24, 2022 | 10:34 IST
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Sherdil the Pilibhit Saga Movie Review in Hindi: बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता पंकज त्रिपाठी की नई फिल्म शेरदिल द पीलीभीत सागा रिलीज हो चुकी है। आइये जानते हैं कैसी है ये फिल्म-

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Sherdil the Pilibhit Saga Movie Review
मुख्य बातें
  • पंकज त्रिपाठी की नई फिल्म शेरदिल द पीलीभीत सागा रिलीज हो चुकी है।
  • पंकज त्रिपाठी के साथ नीरज काबी, सयानी गुप्ता जैसे कलाकार हैं।
  • श्रीजीत मुखर्जी के निर्देशन में बनी है फिल्म 'शेरदिल द पीलीभीत सागा'।

Sherdil the Pilibhit Saga Movie Review in Hindi: बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता पंकज त्रिपाठी की नई फिल्म शेरदिल द पीलीभीत सागा रिलीज हो चुकी है। काफी समय से इस फिल्म की चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है। इस चर्चा की वजह है इसका विषय। फिल्म एक गंभीर विषय पर बनी है जो सिस्टम की कमजोरियां, पर्यावरण, ग्रामीण परिवेश की समस्याएं के साथ-साथ दैनिक ग्रामीण जीवन के संघर्षों को बयां करती है। 

श्रीजीत मुखर्जी के निर्देशन में बनी 'शेरदिल द पीलीभीत सागा' में पंकज त्रिपाठी के साथ नीरज काबी, सयानी गुप्ता जैसे कलाकार हैं जो अपनी अदाकारी से किरदारों में जान फूंकने के लिए मशहूर हैं। बताया जा रहा है कि यह फिल्म सत्य घटना से प्रेरित है। 2017 में समाचार पत्र में एक खबर छपी कि पीलीभीत के कुछ लोगों ने अपने घर के बुजुर्गों को जंगल भेजना शुरू कर दिया है ताकि वे बाघ के शिकार बन जाएं और परिवार को सरकार की ओर से मुआवजा मिल जाए। इसी विषय को श्रीजीत मुखर्जी ने उठाया है।

ऐसी है कहानी 

ये कहानी पीलीभीत के गांव झुंडाव के सरपंच गंगाराम पर केंद्रित है। इस गांव के लोग जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं। जानवर इनकी फसलों को नष्ट कर देते हैं जिसकी वजह से गांव भुखमरी की कगार पर है और डर के साए में जी रहा है। सरपंच होने के नाते गंगाराम इस समस्या का समाधान कराने के लिए सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाता है लेकिन चप्पलें घिस जाने के बावजूद उसे सफलता नहीं मिलती है। 

कहानी में आता है ट्विस्ट 

इसके बाद कहानी में जबरदस्त ट्विस्ट आता है। गंगाराम को एक बोर्ड दिखाई देता है जिस पर लिखा है- यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व एरिया है। अगर कोई व्यक्ति टाइगर के हमले में मारा जाता है तो उसके परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। बस यहां से गंगाराम फैसला कर लेता है कि वो टाइगर का निवाला बनेगा। वह घने जंगल में टाइगर की तलाश में निकलता है, जहां उसकी मुलाकात शिकारी जिम अहमद (नीरज काबी) से होती है। दोनों टाइगर की तलाश कर रहे हैं। एक उसे मारने को और दूसरे उसके हाथों मरने को। कौन अपने मकसद में कामयाब होगा, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।  

अदाकारी और अन्य बातें

फिल्म की कहानी काफी धीमी है जो कहीं कहीं बोर करती है। फिल्म काफी उलझी हुई लगती है। कमजोर कहानी है लेकिन पंकज त्रिपाठी ने मजबूती से कहानी में जान फूंकने का काम किया है। केंड हाफ में नीरज काबी की एंट्री और पंकज के साथ उनकी डायलॉगबाजी रोमांच जगाती है। जीवन की सीख देने वाले गाने अच्छे हैं। 

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