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Mahabharat: ये है महाभारत का ऐसा किरदार जो कभी सीरियल में नहीं आया नजर, सिर्फ अपनी आवाज से छोड़ी छाप

Updated Apr 18, 2020 | 08:03 IST

Mahabharat unknown facts: महाभारत में एक ऐसा किरदार था, जो बेहद महत्वपूर्ण था, लेकिन ये कभी स्क्रीन पर नजर नहीं आया। इसकी सिर्फ आवाज सुनाई दी।

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Mahabharat unknown facts
मुख्य बातें
  • महाभारत फिर से हो रहा है लोकप्रिय
  • जानें, महाभारत से जुड़े किस्से
  • महाभारत का ये किरदार स्क्रीन पर नहीं दिखा कभी

इन दिनों दर्शकों के मनोरंजन के लिए एक बार फिर टीवी के आइकॉनिक सीरियल्स की वापसी हुई है। जिनमें रामायण और महाभारत सबसे खास है। खास बात ये है कि इन टीवी सीरियल्स को आज भी उतना ही प्यार मिल रहा है, जितना वर्षों पहले मिला था। इन पौराणिक शोज को आज के दर्शक भी बहुत पसंद कर रहे हैं। साथ ही इन शो के किरदार और उनसे जुड़े गई रोचक किस्से भी वायरल हो रहे हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको महाभारत के एक ऐसे किरदार के बारे में बताएंगे, जो शो में बेहद महत्वपूर्ण था और जिसके बिना एक भी एपिसोड करना मुश्किल था। लेकिन ये किरदार कभी सीरियल में नजर नहीं आया।

शो में इस किरदार की बस आवाज ही सुनाई दी। हम बात कर रहे हैं, महाभारत के सूत्रधार 'समय' की। हर एपिसोड में आप सुनते हैं 'मैं समय हूं', लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर 'समय' को आवाज देने वाले शख्स कौन हैं? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं। बीआर चोपड़ा की महाभारत में हरीश भिमानी ने 'समय' की आवाज दी। जिसे सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया।

हरीश एक जाने-माने वॉइस आर्टिस्ट हैं और महाभारत से जुड़ने का भी उनका एक दिलचस्प किस्सा है। हरीश ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें 'समय' की आवाज बनने का मौका कैसे मिला। इसके पीछे महाभारत के शकुनि यानी गूफी पेंटल का हाथ है। हरीश ने बताया कि एक शाम को मेरे पास कास्टिंग डायरेक्टर गूफी पेंटल का कॉ आया कि बीआर चोपड़ा के मैन स्टूडियो में आ जाना कुछ रिकॉर्ड करना है। ऐसे में मैंने उनसे प्रोजेक्ट के बारे में पूछा तो उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

बकौल हरीश, जब मैं स्टूडियो पहुंचा तो मुझे एक कागज दिया गया। मैं उसे पूरा कर पाता, उससे पहले ही उन्होंने मुझे बोला कि ये डॉक्यूमेंट्री जैसा लग रहा है। तो मैंने कहा हां और क्या है ये। उन्होंने मुझे तभी भी नहीं बताया, तो मैंने फिर से इसे पढ़ा। इसके बाद उन्होंने मुझे वहां से जाने के लिए कहा। ऐसे में मुझे लगा कि मेरा सलेक्शन नहीं हुआ। लेकिन फिर करीब 3 दिन बाद मुझे फिर से बुलाया गया। उस वक्त मैंने 6-7 टेक्स दिए। तब उन लोगों ने मुझे सब समझाया कि कैसे 'समय' को आवाज देनी है। तीसरी बार जब रिकॉर्डिंग हुई तो मैंने कहा कि आप लोग बोल रहे हैं कि मैं अपनी आवाज बदलूं। लेकिन अगर मैं आवाज बदलूंगा तो वो मजाकिया हो जाएगी। इसकी गंभीरता खत्म हो जाएगी। इसका टैम्पो बदला जाए।

इस पर उन लोगों ने कहा सुनाओ। फिर मैंने उसी तरह डायलॉग बोलें, जैसे मैं सामान्य रूप से गंभीरता से समझाकर बोलता हूं। फिर मैंने वैसे ही बोलना शुरू किया, 'मैं समय हूं', इसके बाद ये वो ही फाइनल हो गया। आपको बता दें कि हरीश हजारों रिकॉर्डिंग्स कर चुके हैं। हरीश को उनकी आवाज के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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