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सुधांशु पांडे को अनुपमा शो में पूरे हुए 2 साल, जानिए कैसा रहा वनराज शाह का अनुभव

Updated Jul 19, 2022 | 22:20 IST

Sudhanshu Pandey Complete 2 Years in Anupamaa: सुधांशु पांडे कहते हैं, 'मुझे लगता है कि यह एक आशीर्वाद है कि हमने अनुपमा के दो साल पूरे कर लिए हैं। मैं इसे आशीर्वाद इसलिए कह रहा हूं क्योंकि लगातार इन दो सालों में हम टॉप पर बने हुए हैं'...

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सुधांशु पांडे।
मुख्य बातें
  • दो वर्षों से अनुपमा घर घर में देखा जाने वाला सबका चहेता शो बना हुआ है
  • शो में सुधांशु पांडे ने उनके एक्स हसबैंड वनराज शाह की भूमिका निभाई है

Anupama complete 2 years: सुधांशु पांडे, रूपाली गांगुली स्टारर अनुपमा अपने बेहतरीन दो सफल साल पूरे कर चुका है। टीवी शो 13, जुलाई 2020 को लॉन्च किया गया था। सुधांशु बहुत खुशी से बताते हैं कि कैसे लगातार दो वर्षों से अनुपमा घर घर में देखा जाने वाला सबका चहेता शो बना हुआ है। बता दें कि शो में रूपाली गांगुली अनुपमा की प्रमुख भूमिका में हैं, जबकि सुधांशु ने उनके एक्स हसबैंड वनराज शाह की भूमिका निभाई है। सुधांशु कहते हैं, 'मुझे लगता है कि यह एक आशीर्वाद है कि हमने अनुपमा के दो साल पूरे कर लिए हैं। मैं इसे आशीर्वाद इसलिए कह रहा हूं क्योंकि लगातार इन दो सालों में हम टॉप पर बने हुए हैं साथ ही बखूबी अपनी पोजीशन मेंटेन किए हुए हैं, वास्तव में ये आशीर्वाद ही है। हम भगवान और अपने दर्शकों के दिल से आभारी हैं।'

उन्होंने बताया कि कैसे वनराज की भूमिका ने उन्हें अपनी अदाकारी सिद्ध करने के, प्रदर्शन करने की पर्याप्त गुंजाइश प्रदान की। 'शायद ये पहला कारण था कि मैंने शो के लिए हां कहा था। वनराज का कैरेक्टर कोई टिपीकल हीरो जैसा नहीं है, जो बहुत अच्छा है सबकी भलाई करता है। वह ग्रे है और बहुत ही मानवीय चरित्र है, जिससे हर कोई रीलेट कर सकता है। वनराज के चरित्र के बहुत सारे पहलू हैं और वे कब किस तरह बर्ताव करेंगे ये बहुत ही अप्रत्याशित है। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो इस कैरेक्टर को हां कहने के वक्त मैंने सोची थी जो एक एक्टर के रूप में मुझे आगे बढ़ने में मदद करेंगी, अभी तक तो ये सफर कमाल का रहा है। इससे आगे भी वनराज के चरित्र के साथ बहुत कुछ किया जा सकता है। आप वनराज से सिर्फ अनएक्सपेक्टेड ही एक्सपेक्ट कर सकते हैं।' हालांकि वनराज के अंदर एक ह्यूमन साइड भी है, जो उस चरित्र को एक चार्म प्रदान करती है। जिस कारण सुधांशु को ऑनस्क्रीन वनराज प्ले करने में काफी मजा आता है। 

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'वनराज के पास एक नरम दिल भी है। उनकी बेटी और उनके बच्चें को प्रति उनकी भावना ही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। वे एक बहुत ही सेंसिटिव और संवेदनशील व्यक्ति हैं, हालांकि जरूर ही उनके किरदार का अपना नकारात्मक पक्ष भी है। उसका गुस्सा जिसपर वे काबू नहीं रख पाते हैं, अक्सर उनके लिए परेशानी खड़ी करता है। वनराज के परिवार के साथ कोई बुरा करे उनसे सहन नहीं होता है, वह हम में से ही एक है। जो एक पल में खुश होता है, एक पल में उसे गुस्सा आ जाता है और वहीं वो दुखी और कमजोर भी महसूस करने लगता है।'

वनराज के किरदार के रूप में सुधांशु से बहुत ही इंटेंस सीन करने की उम्मीद की जाती है। पर वे इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि काम पूरा होने के बाद काम को पीछे छोड़ना सुनिश्चित करें। इसके पीछे विचार यही है कि वे घर में एक फ्रेश दिमाग से जाए और अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों को अलग अलग रखें।

सुधांशु बताते हैं कि 'वैसे मेरा चरित्र ऐसा है कि एक बार जब मैं सेट पर शूट पूरा कर लेता हूं, तो मैं इस कैरेक्टर से बाहर आ जाता हूं क्योंकि वे बहुत एग्जॉस्टिंग होता है। ऐसे बहुत से कठिन सीन्स होते हैं जिन्हें निभाना मुश्किल होता है। जैसा कि मैंने हमेशा कहा है, कभी-कभी जब वनराज गुस्से में होता है तो उस किरदार को निभाना सुधांशु के लिए भी बहुत थका देने वाला होता है। कभी-कभी जब उसे एक बैलेंस करना होता है कि, उसे न तो पूर्ण खलनायक बनना होता है और न ही पूर्ण नायक, तो ऐसी पतली लाइन खींचना काफी कठिन हो जाता है। एक कलाकार के रूप में और एक अभिनेता के रूप में वनराज के बारे में सब कुछ निश्चित रूप से कुछ हद तक मुश्किल है। एक बार जब मैं कॉस्ट्यूम, मेकअप, शूटिंग और सेट से बाहर हो जाता हूं तो मैं आमतौर पर वनराज का स्विच ऑफ कर देता हूं, मैं इसे आगे नहीं बढ़ाता।'

वे वाकई में अनुपमा के शुक्रगुजार हैं, जिसने उन्हें अपनी एक्टिंग के पावर को लोगों के बीच लाने में मदद की। उनके फैन्स ने भी उनके इस सफर को खूब एंजॉय किया है और सपोर्ट किया है। वे मुस्कुराकर कहते हैं कि, अगर सबको लगता है कि इस शो ने उनकी एक्टिंग को, प्रदर्शन को निखारा है, तो वे इस बात से बहुत खुश हैं और भगवान का धन्यवाद करते हैं।  

शो के माध्यम से टीनएजर्स की समस्याओं को बहुत अच्छे से समझा और समझाया गया है, जो बहुत ज्यादा जरूरी है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो टीनएज बच्चों के माता पिता हैं जिनके लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि इस उम्र के बच्चे क्या और कैसे सोचते हैं। उनका दिल और दिमाग किस चीज को किस तरह अपनाता है क्या महसूस करता है। माता पिता के रूप में आप उन्हें किस तरह रास्ता दिखा सकते हैं, एक अच्छा इंसान बनने की नींव रख सकते हैं।

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