- ठग डॉक्टरों को समझते थे अपना सबसे आसान शिकार
- ज्यादातर ये राज्य के बाहर देते थे वारदात को अंजाम
- नकली सिक्का बनाने वाला आरोपी भी आगरा से गिरफ्तार
Faridabad Crime: जिले के दो डॉक्टरों को सोने के नकली सिक्के देकर 80 लाख रुपये ठगने वाले आरोपियों से पुलिस ने रिमांड के दौरान 51 लाख रुपये बरामद किए हैं। क्राइम ब्रांच एनआईटी ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों में जिले के ऊंचा गांव निवासी पन्ना लाल, उसकी पत्नी रमा और बेटा धर्मेंद्र, राजन व नितिन है। पुलिस ने इन आरोपियों को 15 जुलाई को पकड़ा था और उसके बाद रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।
इस दौरान ही आरोपियों ने बताया कि, आगरा निवासी अर्पित श्रीवास्तव इन्हें नकली सोने के सिक्के बनाकर देता था। पुलिस ने आरोपी अर्पित को गिरफ्तार कर उसके पास से नकली सोने के सिक्के बनाने वाली मशीन बरामद की है। इसके अलावा सभी आरोपितों के पास से करीब 18 किलो नकली सोने के सिक्के भी बरामद हुए हैं। इन आरोपियों ने दो डॉक्टरों को नकली सोने के सिक्के को असली बता 40-40 लाख रुपये ठग लिए थे। आरोपियों ने इन डॉक्टरों को बताया था कि घर निर्माण के दौरान ये सोने के सिक्के मिले हैं।
आरोपी 20 साल से सोने के नकली सिक्के देकर कर रहे ठगी
क्राइम ब्रांच प्रभारी नरेंद्र शर्मा ने बताया कि, ठगी करने वाले इस गिरोह का सरगना पन्ना लाल है। इसने करीब 20 साल पहले नकली सोने के सिक्के के नाम पर लोगों को ठगना शुरू किया था। बेटों के बड़े होने के बाद उन्हें भी इस गिरोह में शामिल कर लिया। पुलिस ने बताया कि, ये आरोपित अधिकतर दूसरे राज्यों में ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। आरोपियों ने पूछताछ में यूपी, बिहार, हैदराबाद, बेंगलुरु, मध्यप्रदेश जैसी जगहों पर वारदात करना स्वीकार किया है। पुलिस ने बताया कि, कुछ समय पहले गिरोह के सरगना की बहन की मृत्यु हो गई थी, इसलिए ये लोग बाहर नहीं जा पाए। जिसके बाद इन आरोपियों ने मिलकर फरीदाबाद में ही दो डाक्टरों से 80 लाख की ठगी कर ली। वहीं नकली सिक्के बनाने के आरोप में पकड़ा गया आरोपी अर्पित ने बताया कि, वह डाई की मदद से पीतल के सिक्के को गोल्ड कलर में पालिश कर ऊपर मुहर लगा देता था। आरोपियों ने 35 हजार रुपये में 18 किलो नकली सिक्के बनवाये थे।
डाक्टरों को बनाते थे निशाना
इन ठगों ने बताया कि, वे ज्यादातर डॉक्टरों को ही ठगी करने के लिए चुनते। आरोपियों का मानना है कि डाक्टरों के पास पैसे की कमी नहीं होती। इनके पास समय की कमी होती है। ये सुबह से रात तक क्लीनिक पर बैठते हैं। इसलिए समाज के बारे में इन्हें ज्यादा पता नहीं होता। अखबारों में ठगी की खबरें भी वे नहीं पढ़ पाते। जिस वजह से से आसानी से शिकार बन जाते थे। वहीं ठगी के बाद ज्यादातर डॉक्टर लोकलाज की वजह से पुलिस को इसकी जानकारी नहीं देते थे।