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Faridabad News: एक रुपये की गलती पड़ी बहुत भारी, बदले में देना पड़ गए एक लाख रुपये, जानें पूरा मामला

Updated Aug 10, 2022 | 13:21 IST

Faridabad News: एक फाइनेंस कंपनी को उपभोक्‍ता के खाते में मात्र एक रुपये बकाया दिखा उसे डिफॉल्‍टर घोषित करना काफी महंगा पड़ गया। इससे परेशान उपभोक्‍ता ने उपभोक्ता फोरम में याचिका लगा दी। जिस पर तीन साल हुई सुनवाई के बाद फोरम ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा, उसे उपभोक्‍ता को देने का आदेश दिया है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
एक रुपये का लोन दिखाने पर कंपनी पर एक लाख का जुर्माना
मुख्य बातें
  • पूरा लोन जमा करने के बाद भी खाते में दिखा दिया एक रुपये बकाया
  • बकाया होने से उपभोक्‍ता घोषित हो गया डिफॉल्‍टर, अब नहीं मिल रहा लोन
  • कंपनी को 30 दिन के अंदर उपभोक्‍ता को देना होगा एक लाख रुपयें हर्जाना

Faridabad News: एक फाइनेंस कंपनी को अपने उपभोक्ता के खाते में मात्र एक रुपये बकाया निकाल उसे डिफॉल्टर घोषित करना बहुत भारी पड़ गया। कंपनी के इस कारनामे के बदले उपभोक्ता फोरम ने उस पर इस राशि का एक लाख गुना ज्‍यादा का जुर्माना लगा दिया। उपभोक्‍ता की तरफ से फरीदाबाद के उपभोक्ता फोरम में दायर की गई अपील की सुनवाई करते हुए उपभोक्ता फोरम के प्रधान अमित अरोड़ा व सदस्य मुकेश शर्मा ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उसे हर्जाने के तौर पर ग्राहक को देने का आदेश दिया है।

जानकारी के अनुसार, डबुआ कॉलोनी निवासी कारोबारी दिनेश शर्मा ने उपभोक्ता फोरम में एक याचिका दायर की थी। जिसमें उन्‍होंने बताया कि, पांच साल पहले उसने सेक्टर-15ए से एक स्कूटी ली थी। इस स्कूटी के लिए उन्‍होंने फाइनेंस कंपनी से लोन कराया था। याचिकाकर्ता ने फोरम को बताया कि, करीब एक साल किस्त भरने के बाद उन्‍होंने उक्‍त कंपनी की बकाया सभी किस्‍तों का एक साथ भुगतान कर कंपनी से एनओसी भी ले ली और अपनी स्कूटी की रजिस्ट्रेशन कॉपी से लोन हटवाने की अर्जी दे दी। जिसके बाद रजिस्ट्रेशन कॉपी पर चढ़ा लोन भी हट गया और दूसरी कॉपी दे दी गई।

दोबारा लोन लेने गए तो पता चला घोषित हो चुके है डिफॉल्‍टर

याचिकाकर्ता दिनेश ने फोरम को बताया कि, वे कारोबारी हैं, इसलिए उन्हें अक्‍सर कारोबार के सिलसिले में लोन की जरूरत पड़ती है। उन्‍होंने कहा कि, अक्टूबर 2018 में एक बैंक से 40 लाख रुपये लोन लेने के लिए आवेदन किया तो लोन देने से मना कर दिया गया। जब इसकी वजह पूछी तो वहां के बैंक कर्मियों ने बताया कि, वे डिफॉल्‍टर घोषित हो चुके हैं, क्‍योंकि उन पर स्कूटी लोन के रूप में करीब एक साल से एक रुपये बकाया है। बैंकवालों ने कहा कि, पहले उन्हें लोन सिविल करेक्शन करानी होगी। इसके बाद उन्‍होंने फाइनेंस कंपनी से इस बारे में बात की तो वहां से भी बताया गया कि, लोन सिविल करेक्शन कर उन पर बकाया एक रुपये को हटा दिया गया है। हालांकि इसके बावजूद भी उन्हें लोन नहीं दिया गया, क्योंकि कंपनी की लारवाही के कारण उनकी लोन सिविल की विश्वसनीयता खत्‍म हो गई थी। लोन नहीं मिलने से उन्‍हें कारोबार में काफी नुकसान हुआ। इस मामले की तीन साल चली सुनवाई के बाद अब उपभोक्ता फोरम ने याचिकाकर्ता दिनेश शर्मा के पक्ष में फैसला सुनाया है। अब फाइनेंस कंपनी को एक लाख रुपये का हर्जाना 30 दिन के अंदर देना होगा।