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Ghaziabad: दो रुपये के लिए कारोबारी की थाने में जमकर पिटाई, अब थाना प्रभारी एवं दो दरोगा समेत आठ पर मुकदमा

Updated Jul 31, 2022 | 21:37 IST

Ghaziabad News: गाजियाबाद के सिहानी थाने के अंदर एक कारोबारी को अवैध तरीके से हिरासत में लेकर मारपीट के एक मामले में गाजियाबाद जिला अदालत ने तत्कालीन थाना प्रभारी एवं दो दरोगा सहित समेत आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अवैध रूप से हिरासत में रखकर मारपीट करने, कोर्ट को झूठी सूचना देकर गुमराह करने के मामले में मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
कारोबारी को अवैध हिरासत में रखकर मारपीट
मुख्य बातें
  • सिहानी थाने में कारोबारी के साथ सितंबर 2021 में हुई थी मारपीट
  • पुलिसकर्मी ने दो रुपये के झगड़े में कारोबारी को ले लिया था हिरासत में
  • पुलिसकर्मियों ने कोर्ट में झूठी जानकारी देकर की गुमराह करने की कोशिश

Ghaziabad News: गाजियाबाद के सिहानी थाने के अंदर एक कारोबारी को अवैध तरीके से हिरासत में लेकर मारपीट के एक मामले में गाजियाबाद जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने आरोपी तत्कालीन थाना प्रभारी एवं दो दरोगा सहित समेत आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोपी इंस्पेक्टर घटना के समय सिहानी गेट थाने के प्रभारी थे।

इस मारपीट व शोषण के पीड़ित दूध कारोबारी विनोद सिंह के अधिवक्ता परविंदर नागर ने बताया कि यह घटना सितंबर 2021 की है। नेहरू नगर में मदर डेयरी का बूथ चलाने वाले कारोबारी विनोद सिंह का वहीं के मुकेश वर्मा से उधार दिए दो रुपए को लेकर आपसी विवाद चल रहा था। विनोद द्वारा रुपए का तगादा करने पर दूसरे पक्ष ने इसकी शिकायत नेहरू नगर चौकी के तत्कालीन प्रभारी दरोगा गौरव कुमार और विजय कुमार से की। जिसके बाद चौकी के पुलिसकर्मियों ने विनोद सिंह को पूछताछ के लिए उनकी कार सहित हिरासत में ले लिया और सिहानी गेट थाने में लाकर हवालात में डाल दिया।

पुलिसकर्मियों ने रात भर की आरोपी से मारपीट

अधिवक्ता परविंदर नागर ने बताया कि सिहानी गेट थाने के अंदर अवैध तरीके से बंद करने के बाद रात में पुलिसकर्मियों ने कारोबारी के साथ जमकर मारपीट की। इसके अगले दिन पुलिस ने कारोबारी विनोद सिंह को शांति भंग करने की धारा में चालान कर जेल भेज दिया। अधिवक्ता ने बताया कि मारपीट और शांति भंग की धारा में दूसरे पक्ष के किसी भी व्‍यक्ति की गिरफ्तारी नहीं की गई। अधिवक्‍ता ने बताया कि कारोबारी के जमानत पर छूटने के बाद जब पुलिस से कार की मांग की गई तो पुलिसकर्मियों ने कोई भी कार होने से साफ इंकार कर दिया। जिसके बाद कारोबारी ने अधिवक्ता के माध्यम से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोपियों के खिलाफ केस दायर किया।

पुलिसकर्मियों ने कोर्ट में कहा कोई कार नहीं थी, वकील ने सौंप दी फोटो

अधिवक्ता नागर ने कहा कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट को लिखित में बताया था कि थाने में उस नंबर की कोई कार नहीं खड़ी है, इसके जवाब में थाने में खड़ी कार का फोटो कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अवैध रूप से हिरासत में रखकर मारपीट करने, कोर्ट को झूठी सूचना देकर गुमराह करने के मामले में सिहानी गेट थाने के तत्कालीन प्रभारी इंस्पेक्टर मिथिलेश कुमार उपाध्याय, दरोगा विजय कुमार, गौरव कुमार, तीन अन्‍य पुलिसकर्मी और मुकेश वर्मा व उसकी पत्नी अलका वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।