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Delhi-Meerut Expressway: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर पूरी रफ्तर से दौड़ेंगे वाहन, चिपियाना आरओबी का काम 15 अगस्त तक होगा खत्म

Updated Jun 23, 2022 | 20:29 IST

Delhi-Meerut Expressway News: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे से सफर करने वालों के लिए खुशखबरी है। अब इस रूट पर चालक बिना किसी ट्रैफिक रोक-टोक के सफर कर सकेंगे। बाधा बना चिपियाना आरओबी 15 अगस्त तक पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे
मुख्य बातें
  • दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे से सफर करने वालों के लिए खुशखबरी
  • आरओबी का काम जल्द खत्म होने वाला है
  • चिपियाना आरओबी पर गर्डर को लांच कर दिया

Delhi-Meerut Expressway News: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे से सफर करने वालों के लिए खुशखबरी है। अब इस रूट पर चालक बिना किसी ट्रैफिक रोक-टोक के सफर कर सकेंगे। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे काफी समय से निर्माणाधीन चिपियाना आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) इस पर चलने वालों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था, लेकिन अब इस आरओबी का काम जल्द खत्म होने वाला है। 

हाल ही में चिपियाना आरओबी पर गर्डर को लॉन्च कर दिया गया है। इस गर्डर लॉन्च को लेकर लंबे समय से तैयारियां चल रही थीं। जिसको मंगलवार रात को रखा गया था। गर्डर रखने के बाद दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर बाधा बना चिपियाना आरओबी 15 अगस्त तक पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। 

ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़ेगा

इसके बाद इस रूट को इस्तेमाल करने वालो चालकों को चिपियाना के आस-पास ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस बात की जानकारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों ने दी है। उनके अनुसार 15 जुलाई तक गर्डर को सेट करने का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद सड़क निर्माण का काम शुरू किया जाएगा। इसलिए एनएचएआई ने बताया है कि, 15 अगस्त के बाद दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के चिपियाना के पास किसी भी तरह के निर्माण कार्य से जुड़ा ट्रैफिक नहीं लेगेगा। 

आरओबी गर्डर का वजन करीब 2385 टन

आपको बता दें कि, पिछले साल 1 अप्रैल से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे शुरू हो चुका था, लेकिन चिपियाना आरओबी के निर्माण का काम बचा हुआ था। इसको पूरा करने के लिए एनएचएआई की टीम लगातार काम कर रही थी। चिपियाना आरओबी गर्डर का वजन करीब 2385 टन है और 30 मीटर चौड़ा और 74 मीटर लंबा है। यह गर्डर बीती अप्रैल में बनकर तैयार हो गया था, लेकिन रेलवे की तरफ से ट्रैफिक ब्लॉक की अनुमति न मिलने के कारण आरओबी पर नहीं रखा गया था। ट्रैफिक ब्लॉक की अनुमति मिलने के बाद 14 जून से एनएचएआई ने गर्डर को रखने का काम शुरू कर दिया था।