- सरकारी नौकरी के नाम पर युवाओं को ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश
- गिरोह के दो सदस्या गिरफ्तार, पुलिस को अब गिरोह के सरगना की तलाश
- आरोपी ठगने के लिए अपनाते थे सरकारी नौकरी की पूरी भर्ती प्रक्रिया
Ghaziabad Fraud: गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो बेराजगार युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देकर ठगी करता था। पुलिस के अनुसार यह गिरोह अब तक 200 से अधिक युवकों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है। पुलिस गिरोह के दो सदस्यों को दबोचने के साथ बाकि आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। गिरफ्तार आरोपी युवाओं से सरकारी नौकरी का फार्म भरवाने के बाद बकायदा ज्वाइनिंग लेटर और आइकार्ड तक देते थे। साथ ही दिल्ली के अंदर मेडिकल परीक्षण व ट्रेनिग भी करवाते थे। पुलिस के अनुसार इस गिरोह का सरगना अभी फरार है, उसे भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
नंदग्राम थाना प्रभारी अमित कुमार काकरान ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित की पहचान बुलंदशहर के छपरावत निवासी दीपक चौधरी और मुरादनगर के गांव खुर्रमपुर निवासी विकास त्यागी के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि इस गिरोह के खिलाफ त्रिपुरा के गांव नलनर सोनमुरा सेपाहीजला निवासी सुजौय देवनाथ ने नौकरी के नाम पर ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
कई लोगों से ठगे लाखों
पीड़ित ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि उसे एक परिचत ने दीपक चौधरी का मोबाइल नंबर देते हुए बताया था कि ये सरकारी नौकरी लगवाता है। दीपक ने शिकायतकर्ता को आयकर विभाग में निरीक्षक की नौकरी लगवाने का झांसा देकर 12 लाख रुपये ठग लिए। वहीं दिल्ली निवासी एक दूसरे शिकायतकर्ता जहरलाल देवनाथ से भी दोनों आरोपितों ने ढाई लाख और नंदग्राम के सिहानी गांव निवासी ब्रह्मदत्त त्यागी से 80 हजार रुपये ठगे थे। इन सभी मामलों में नंदग्राम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
आरोपी अपनाते थे नौकरी की पूरी भर्ती प्रक्रिया
साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि ये आरोपी पीड़ितों का विश्वास जीतने के लिए सरकारी नौकरी में होने वाली पूरी भर्ती प्रक्रिया को अपनाते थे। आरोपी युवाओं से आवेदन फार्म भरवाकर ज्वाइनिंग लेटर और पहचान पत्र देते थे। इसके बाद दिल्ली के यमुना विहार में एक से तीन माह की ट्रेनिंग भी कराते थे। यहां पर आरोपियों ने प्राइवेट इंस्टीट्यूट खोल रखा था, जहां पर ट्रेनिंग के नाम पर युवाओं को सिर्फ कंप्यूटर चलाना सिखाया जाता था। बाद में भर्ती रद्द होने या नौकरी की जांच होने का बहाना बनाकर युवाओं को इंतजार करने को कहते।