- मानसून में जलभराव की स्थिति से निपटने का प्लान बनाने में जुटा प्रशासन
- सभी विभाग से जलभराव वाली जगहों की पहचान कर लिस्ट बनाने का निर्देश
- मानसून से पहले पूरी होगी नालों की सफाई व सड़कों की मरम्मत कार्य
Gurugram Water Logging Problem: भीषण गर्मी के बाद जल्द ही एक बार फिर से मानसून दस्तक देगा। बारिश जहां लोगों को गर्मी से राहत देती है, वहीं लोगों की परेशानियों में भी भारी इजाफा करती है। साइबर सिटी के कई इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए बारिश किसी बुरे सपने से कम नहीं है। इसका प्रमुख कारण है जलभराव। प्रतिवर्ष शहर के कई इलाकों को मानसून के दिनों में जलभराव और डूबने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इसबार ऐसा न हो, इसलिए प्रशासन अभी से तैयारी में जुट गया है।
गुरुग्राम मेट्रोपालिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी, नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर जलभराव की स्थिति से निपटने का खाका तैयार कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा इस माह के अंत तक सभी विभागों से उनके क्षेत्रों में जलभराव की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों की सूची मांगी गई है, जिससे मानसून आने से पहले इनका समाधान किया जा सके।
मानसून के दौरान कई इलाकों में होता है जलभराव
बता दें कि, मानसून के दौरान तेज बारिश से शहर के कई इलाकों में जलभराव हो जाता है, इससे शहर की मुख्य सड़कों, सेक्टर और प्रमुख कालोनियों भी अछूती नहीं है। जलभराव से जहां आवागमन में बाधा होती है, वहीं घरों व दुकानों में पानी घुसने से लोगों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। पिछले साल भी जीएमडीए और नगर निगम ने मिलकर मानूसन से पहले कई जलभराव वालही जगहों की पहचान कर इस समस्या को दूर किया था, लेकिन हर साल कुछ ऐसे नए ऐसे प्वाइंट भी बन जाते हैं, जहां जलभराव होता है। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार शहर में अभी भी 25 ऐसे स्थान हैं, जहां सबसे ज्यादा जलभराव होता है।
इस वजह से होता है जलभराव
शहर में जलभरव के कई कारण हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख कारण नालों में कचरा और गाद जम जाना है। जिसकी वजह से पानी की निकासी नहीं हो पाती और जलभराव होने लगता है। इसके अलावा टूटी सड़कों पर भी बारिश के समय भारी जलभराव होता है। इन समस्याओं से निजाता पाने के लिए जहां नालों की साफ सफाई अभी से शुरू कर दी गई है, वहीं सड़कों के मरम्मत के लिए भी टेंडर छोड़े जाने का प्लान बनाया जा रहा है।