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कोरोना झेल चुके लोग रहें सावधान, ज्‍यादा प्रभाव‍ित करेगा Air Pollution, जानें क‍िन बातों पर रहें अलर्ट

Updated Nov 17, 2021 | 19:55 IST

हाल में दिल्ली में जहां एक्यूआई 500 रहा, वहीं नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 700 के पार पहुंच गया। आपको बता दें क‍ि प्रदूषण का यह स्तर पिछले 15 दिनों में सबसे खतरनाक है।

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air pollution more dangerous for covid patients (Pic : iStock)
मुख्य बातें
  • वायु प्रदूषण आंखो में खुजली, त्वचा और गले में जलन के साथ सांस संबंधी गंभीर बीमारियों को देता है दावत।
  • प्रदूषण कोविड के एसिम्पटोमैटिक मरीजों को सिम्पटोमैटिक बना सकता है।
  • प्रदूषण का बढ़ता स्तर अस्थमा व दमा के मरीजों के लिए अधिक खतरनाक।

दिल्ली एनसीआर की हवा गैस चैंबर में तबदील हो चुकी है। यह सांसो का आपातकाल और कुदरत से खिलवाड़ का अंजाम है, जो जहर हमने हवाओं में घोला ये उन हवाओं का इंतकाम है। यही कारण है कि दीपावली के 6 दिन बाद भी दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा। सांसो को घोटने वाला यह संकट सिर्फ राजधानी दिल्ली को ही नहीं बल्कि आसपास के शहरों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। वहीं पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलो ने दिल्लीवासियों के साथ आसपास के शहरों की चिंता और भी बढ़ा दी है।

हाल ही में दिल्ली में जहां एक्यूआई 500 रहा, वहीं नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 700 के पार पहुंच गया है। आपको बता दें प्रदूषण का यह स्तर पिछले 15 दिनों में सबसे खतरनाक है। जिससे लोगों के लिए खुले में सांस लेना मुश्किल हो गया है। घटती वायु गुणवत्ता और धुंध ने कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों की चिंता और भी बढ़ा दी है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों को इन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 

पोस्ट कोविड मरीजों के लिए अधिक खतरनाक

कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर ने लाखो लोगों को अपनी चपेट में लिया। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस शरीर पर लंबे समय तक अपना प्रभाव छोड़ता है, जिसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम कहा जाता है। इस दौरान कोरोना से ठीक हुए मरीजो में सांस संबंधी परेशानियां सबसे अधिक देखी जा रही हैं। ऐसे में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर इन लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह दिल संबंधी गंभीर बीमारियों को जन्म देता है। तथा प्रदूषण बढ़ने से हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा काफी बढ़ जाती है, लंबे समय तक पीएम 2.5 के कणो के संपर्क में रहने से वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

सांस संबंधी बीमारियों को देती है दावत

आंखो में खुजली, त्वचा और गले में जलन के साथ खराब वायु गुणवत्ता सांस संबंधी गंभीर बीमारियों को दावत देती है। यह दिल संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजो के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है। जिन लोगों के फेफड़े पहले से ही कमजोर हैं या फिर कोविड 19 से उबरे मरीजो के लिए प्रदूषण का बढ़ता स्तर जानलेवा हो सकता है। ऐसे में इन लोगों को अधिक सावधान होने की आवश्यकता है।

फेफड़ों को बना सकता है कमजोर

कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का स्वास्थ्य अभी भी खतरे में है। टीएनएन के साथ एक इंटरव्यू के दौरान अपोलो हॉस्पिटल, इंद्रप्रस्थ के सीनियर कंस्लटेंट डॉ. राजेश ने बताया कि जो लोग कोरोना वायरस का शिकार हो चुके हैं उनके फेफड़ो की कार्यक्षमता में कमी आई है और कई लोगों को सांस लेने में परेशानी और ब्रोशर हाइपरएक्टिविटी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर इन लोगों के फेफड़े कमजोर हो सकते हैं। प्रदूषित वातावरण फेफड़ों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए लोगों को अपना ध्यान रखने की जरूरत है।

प्रदूषण बढ़ने से हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा काफी बढ़ जाती है, लंबे समय तक पीएम 2.5 के कणो के संपर्क में रहने से वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है। यह फेफड़ो को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। पिछले साल सर्दियों में नवंबर और दिसंबर के महीने में कोरोना वायरस के मरीजो में तेजी से वृद्धि हुई थी। हालांकि इस बार देश की एक बड़ी आबादी ने कोरोना के खिलाफ टीकाकरण ले लिया है, जिससे कोरोना का खतरा कम है।

फेफड़ो की रिकवरी हो सकती है धीरे

विशेषज्ञों के मुताबिक बढ़ता प्रदूषण स्तर कोविड के एसिम्पटोमैटिक मरीजों को सिम्पटोमैटिक बना सकता है। तथा फेफड़ों के विंड पाइप में सूजन आ सकती है, जिससे सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता फेफड़ों की रिकवरी को धीमा कर सकती है।

अस्थमा व दमा के मरीज रहें अधिक सजग

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या अस्थमा से पीड़ित मरीजों को वायु प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव से लड़ने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। यदि वह पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं तो उन्हें अधिक सजग होने की आवश्यकता है। इस दौरान घर से बाहर ना निकलें, मास्क लगाकर रखें और स्वास्थ्य संबंधी कोई भी परेशानी होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।

ध्यान दें

प्रदूषित हवा में सांस लेने से खांसी, जुकाम, आंखो में जलन, फेफड़ो में इंफेक्शन, सासं संबंधी परेशानी, बालों का तेजी से झड़ना आदि समस्याएं हो सकती हैं। तथा अस्थमा व दमा के रोगियों को अटैक पड़ने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में इस दौरान बिना किसी जरूरी कार्य के घर से बाहर ना निकलें, मास्क लगाकर रखें, एक्यूआई बढ़ने पर कठिन व्यायाम ना करें, मॉर्निंग वॉक पर जाने से बचें, रोजाना 4 लीटर से ज्यादा पानी पिएं, खाने में विटामिन सी और ओमेगा 3 का सेवन अधिक करें। इन सभी चीजों का पालन कर आप वायु प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव से बच सकते हैं।