- बांस का जड़,बीज और पत्ता भी फायदेमंद होता है
- फेफड़ों की सूजन को कम करता है बांस का पत्ता
- माइग्रेन की समस्या में इसका रस नाक में डालें
नई दिल्ली. पर्यावरण ही नहीं सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहे प्लास्टिक के बॉटलों में आने वाले पानी अब बाजार में नजर नहीं आएंगे। इसकी जगह बांस यानी बैम्बू बॉटल्स को प्रमोट किया जा रहा है। बांस धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
किसी भी शुभ काम में जैसे बांस का होना जरूरी होता है उसी तरह सेहत के लिए भी बांस बहुत फायदेमंद होता है। बांस के बॉटल में पानी पीना सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद होगा। यह इनता शुद्ध और पोषक पानी होगा कि आप इसे व्रत में भी पी सकेंगे।
बांस की बॉटल में पोटेशियम , कॉपर, विटामिन बी 6 (पाइरिडोक्सीन) मैंगनीज, जस्ता, विटामिन बी 2 (राइबोफ्लेविन), ट्रिप्टोफैन, प्रोटीन, आइसोल्युसिन , आयरन प्रचुर मात्रा में होंगे। यानी जब इसमें पानी डाला जाएगा तो पानी भी इन पोषकता से भर जाएगा। प्राचीन काल में वायुदोष तथा दिल एवं फेफड़े की दवाओं को बनाने के लिए बांस का प्रयोग किया जाता था।
एंटी एजिंग को करता है कम
बढ़ती उम्र को रोकने का दम बांस वाले पानी में होता है। बांस के पानी में एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होता है। एंटीऑक्सिडेंट डिएनए कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है, इससे एजिंग कि प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इस पानी से चेहरा धोना भी बहुत फायदेमंद होता है।
बांस में रखे पानी में कोलेजन पाया जाता हैं। कोलेजन बालों और स्किन कि कोशिकाओं के लिए जरूरी होता है। इस पानी का पीना और इस पानी का प्रयोग करना स्किन और बालों कि खूबसूरती के लिए बहुत फायदेंम होता है।
हड्डियों को बनाता है मजबूत
हड्डियों के लिए सिलिका बहुत फायदेमंद होती है और बांस के पानी में ये चीजें मौजूद होती हैं। इसलिए जब बांस में रखा पानी पीया जाता है तो इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। माइग्रेन में बांस किसी दवा से कम नहीं होता।
माइ्ग्रेन होने पर बांस की जड़ का 10 मिली रस लें और उसमें 500 मिग्रा कपूर मिलाकर एक मिश्रण बना लें। इस रस को आप जिस ओर दर्द हो रहा हो उस नाक में एक या दो बूंद डाल लें। इससे सिर कर दर्द ठीक हो जाएगा।
फेफड़े की सूजन को करता है कम
जिन लोगों के फेफड़ों में सूजन हो उन्हें बांस के पत्तों से बना काढ़ा जरूर पीना चाहिए। प्रदूषण और स्मोकिंग के कारण जिनके फेफड़े सिकुड़ने लगे हों उन्हें भी इस काढ़े को पीना चाहिए। इस काढ़े को पीने से खांसी और गले के दर्द से भी आराम मिलता है। जिन्हें एलर्जी की समस्या हो वह भी इस काढ़े को पीएं।
जिन लोगों को बवासीर यानी पाइल्स की समस्या हो उन्हें बांस के पत्तों का काढ़ा रोज पीना चाहिए। पीरियड्स में होने वाले पेट दर्द, अनिमित मासिक धर्म और हैवी ब्लीडिंग या कम ब्लीडिंग जैसी जुड़ी किसी भी तरह की समस्या से छुटकारा पाने के लिए बांस के पत्ते के काढ़े को 50 ग्राम शतपुष्पा में गुड़ मिलाकर लिया करें।
बांस का प्रयोग करते हुए कुछ सावधानियां भी बरतें
- बांस के बीज कच्चा खाने से पाचन से जुड़ी दिक्कत हो सकती है।
- बांस के बीज यदि लगातार लिया जाए तो थायराइड ट्यूमर, हाइपोथायरायडिज्म और गॉयटर कि दिक्कत हो सकती है।
- बांस के बीजों को बिना उबाले पीना जहर समान हो सकता है।
- बांस के पत्ते, जड़ और बीज ही नहीं उसमें रखा पानी भी औषधिय गुणों से भर जाता है। तो बांस कि बॉटल में पानी पीना शुरू कर दें।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।