नई दिल्ली. सर्वाइकल कैंसर का खतरा 16 से 30 वर्ष की आयुवर्ग की महिलाओं को सबसे ज्यादा होता है। एक हालिया सर्वे में इसका खुलासा किया गया है। सर्वे के मुताबिक महिलाओं में आम तौर पर पाया जाने वाला एचपीवी (ह्यूमन पेपीलोमा वायरस) जल्दी ठीक हो जाता है। लेकिन इसका गंभीर रूप लेने पर सर्वाइकल कैंसर का कारण बनता है।
16 से 30 साल की महिलाओं में सबसे ज्यादा खतरा
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स ने सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग में एचपीवी टेस्ट के पूर्वव्यापी विश्लेषण में पाया गया है कि 16 से 30 साल (14 फीसदी) आयु वर्ग की महिलाओं में एचपीवी उच्चतम स्तर पर था। इन महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की संभावना भी उच्च थी। इसके बाद 61 से 85 वर्ष (8.39 फीसदी) आयु वर्ग की महिलाओं का स्थान था। इस रिसर्च के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड प्रोसेस-हाइब्रिड कैप्चर का इस्तेमाल किया गया।
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एक तिहाई मामले भारत में
सर्वे के मुताबिक वैश्विक स्तर पर सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों के एक तिहाई मामले भारत में पाए जाते हैं। भारत में सर्वाइकल कैंसर के हर साल 1,32,000 मामलों का इलाज किया जाता है। इस दौरान 74,000 मामलों में मौत हो जाती है। ब्रेस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर मौत का दूसरा मेन कारण है। आपको बता दें कि सर्वाइकल कैंसर एक महिला के प्रेग्नेंसी की शुरुआत में भी हो सकता है।
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ये हैं सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
स्मोकिंग, अनसेफ सेक्स, कई बच्चे होने, गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने के साथ ही एचआईवी और एचपीवी संक्रमण सर्वाइकल कैंसर के विकास के कारण हो सकते हैं। अनियमित पीरियड्स या संभोग के बाद योनि से असामान्य खून बहने पर, पीठ, पैर या पेडू में दर्द होने पर, थकान, वजन कम होने या भूख न लगने, योनि से दुर्गन्ध वाला स्राव होना सर्वाइकल कैंसर का प्राथमिक लक्षण हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
(IANS इनपुट के साथ)
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