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Corona virus recovery rate: कितनी तेजी से हो रही है भारत में कोरोना की रिकवरी, क्‍या इशारा करती है ये दर

Updated Sep 20, 2020 | 17:32 IST

अमेरिका के बाद हिंदुस्तान पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के आंकड़ों के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। हालांकि हिंदुस्तान की रिकवरी रेट और देशों के मुकाबले काफी बेहतर है।

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तस्वीर साभार:&nbspShutterstock
Corona virus recovery rate in india

कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। हालांकि पूरी दुनिया में अब पहले से हालात बेहतर है। इस वक्त दुनिया में कोरोनावायरस से ग्रसित देशों की संख्या में अमेरिका पहले नंबर पर और भारत दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में एक अनाउंसमेंट के दौरान दुनिया भर से भारत के रिकवरी रेट अधिक होने की बात कही है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी कहा गया है क‍ि हमारे देश का मृत्यु दर भी और देशों की तुलना में बेहतर है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या एक अच्छी रिकवरी रेट किसी देश के लिए कोरोनावायरस से छुटकारा पाने का सावधान हो सकती है? क्या यह एक सकारात्मक खबर है? यहां एक व्याख्या है जो आपको बताएगी कि आपको रिकवरी रेट को लेकर कितना ज्यादा संतुष्ट रहने की जरूरत है।

ज्यादा संक्रमण, ज्यादा रिकवरी रेट
भारत में रोजाना निकल रहे कोरोना मामलो की संख्या और देशों से काफी अधिक है। यहां हर रोज औसतन 80 हजार से अधिक मामले निकल रहे हैं। सबसे मजेदार बात तो यह है कि जिस दिन भारत ने सबसे अधिक 90 हजार के करीब मामले दर्ज किए उसी दिन भारत में सबसे अधिक रिकवरी रेट भी दर्ज की गई। उच्च संक्रमण दर इसलिए भी ज्यादा आ रहे हैं क्योंकि हम कोरोना वायरस की जांच भी दिन पर दिन तेजी से करते जा रहे हैं। अच्छी रिकवरी रेट का मतलब है कि हमारी मेडिकल सुविधा पहले से काफी बेहतर हुई है।

क्या दुनिया में हमसे बेहतर रिकवरी दर वाले देश हैं?
WHO के अनुसार, कोविड 19 से दुनिया भर में मृत्यु दर 3 से 4 प्रतिशत है। इसका मतलब हुआ की वैश्विक रिकवरी रेट 95 से 96 प्रतिशत होगी। जबकि अमेरिका के मुकाबले भारत की रिकवरी रेट अजीब है। हालांकि दुनिया में और भी देश मौजूद हैं जो कोरोना से लड़ने में बेहतर साबित हुए हैं। जैसे ब्राजील जो कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित तीसरा देश है। चीन,रूस,कोलबिंया,पाकिस्तान की रिकवरी दर भी लगभग 81 प्रतिशत है। 

होम आइसोलेशन और तेजी से हो रहे टेस्ट मदद कर रहे हैं
भारत के सभी राज्यों में दिल्ली नंबर एक पर है। दिल्ली की रिकवरी रेट सबसे अधिक 90 प्रतिशत है। इस तरह का रिकवरी रेट किसी भी शहर के बेहतर मेडिकल मैनेजमेंट को दर्शाता है। होम आइसोलेशन ने हल्के लक्षण वाले मरीजों को घर पर ही ठीक कर दिया, जिस वजह से अस्पतालों में केवल गंभीर मरीजों का इलाज किया जा रहा है।यह ‘दिल्ली मॉडल’ इतना बेहतर साबित हुआ की हर राज्य इसका अनुपालन करने लगे। हालांकि इस मॉडल को अभी तक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं मिली है। गंभीर मामले की अपेक्षा भारत में ज्यादातर मामले हल्के लक्षणों वाले हैं जिस वजह से बिमारी से रिकवरी रेट और तेजी से हुआ है।

अच्छी रिकवरी रेट क्या दिखाता है
दुर्भाग्य से किसी देश का अच्‍छा रिकवरी रेट यह नहीं बताता है कि वह देश कोरोना से ज्यादा बेहतर तरीके से लड़ रहा है। अगर किसी बिमारी से मृत्यु दर ज्यादा नहीं बढ़ रहा है तो जाहिर सी बात है कि लोग तेजी से ही ठीक हो रहे होंगे। इसलिए मृत्यु दर का कम होना रिकवरी रेट से किसी देश को बेहतर बताने वाली थ्योरी को नकार देती है।

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि जब मृत्यु दर ज्यादा नहीं होती तो ज्यादातर लोग ठीक ही हो जाते हैं। जैसै-जैसे महामारी बढ़ेगी वैसे-वैसे रिकवरी रेट भी बढ़ेगा। महामारी के दौरान केवल दो ही चीजें होती है या तो व्यक्ति मर जाता है या बच जाता है।

गिरता हुआ मृत्यु दर
भारत की अधिकतर जनसंख्या (18 से 35) युवा वर्ग है जिनके अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। इसलिए इलाज के दौरान इनके रिकवरी रेट की संभावना बढ़ जाती है। भारत को जो सबसे बेहतर बनाता है वो यह है कि यहां मृत्यु दर कम है। महामारी का प्रकोप जब ज्यादा बढ़ जाता है तब रिकवरी रेट अपने आप बढ़ने लगता है। आने वाले महिनों में हम रिकवरी रेट 97 से 99 प्रतिशत भी देख सकते हैं। लेकिन इससे हम यह बिल्कुल नहीं मान सकते की भारत में Coronavirus खत्म हो जाएगा।

क्या भारत अन्य देशों की तुलना में बेहतर नहीं कर रहा है
इसका जवाब काफी कठिन है। भारत की जनसंख्या को देखते हुए यह कह पाना काफी मुश्किल है। शुरुआती दौर में मामले सिर्फ शहरी आबादी में देखने को मिल रहे थे लेकिन अब मामले गांवों तक पहुंच रहे हैं जो बहुत खतरनाक है। यह इस बात को सच करता है जिसमें कुछ जानकारों ने कहा था कि भारत में मामले अलग-अलग समय पर अलग-अलग शहरों में चरम पर पहुंच रहे हैं जिससे मामले और भी ज्यादा बदत्तर हो जाएंगे।

क्या करना चाहिए
भारत में अभी हेल्थ सिस्टम बहुत अच्छा नही है, खास तौर से छोटे शहरों में। हमको अगर ऐसी महामारियों से लड़ना है तो अपने हेल्थ सिस्टम को सुधारना होगा। लोगों को जमनी स्तर पर उतर कर काम करना होगा। दूसरे देशों से तुलना करने से अच्छा है कि अपने आप को बेहतर बनाया जाए। अभी सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करें, बेहतर तरीके से रोगीयों को क्वारंटीन करें और सबसे महत्वपूर्ण बात कि देश में फिर से सब कुछ सामान्य रूप से चल सके इस पर काम करें।