नई दिल्ली : चीन में जिस कोरोना वायरस के कारण 3,000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, उसके भारत में भी दस्तक देने से लोगों में डर बैठ गया है। सरकार ने जहां एहतियान कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, वहीं बाजार में मास्क, ग्लब्स और सैनिटाइजर की मांग भी बढ़ गई है। कई दुकानों से यह समाप्त हो जाने की रिपोर्ट आ रही है तो ऑनलाइन स्टॉक भी खत्म हो गए बताए जा रहे हैं। लेकिन क्या ये वास्तव में कोरोना वायरस को रोकने में सक्षम हैं और अगर हैं भी तो किस हद तक?
मास्क कितना प्रभावी?
भारत में कोरोना वायरस के दस्तक देते ही दुकानों से मास्क गायब हो गए हैं। लोग मेडिकल स्टोर पर जाकर सर्जिकल मास्क की डिमांड कर रहे हैं, लेकिन इसे आउट ऑफ स्टॉक बताया जा रहा है। मास्क को इसलिए जरूरी समझा जा रहा है, क्योंकि यह हवा में मौजूद ऐसे वायरस को सांस के जरिये लोगों तक पहुंचने से रोक सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसका सही तरीके से इस्तेमाल न किया गया तो इससे मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई पहले से किन्हीं बीमारियों से ग्रस्त है तो उसका मास्क लगाना ठीक है, क्योंकि इससे दूसरे लोग बीमारों के संपर्क में आने से बच जाते हैं। लेकिन एक स्वस्थ आदमी जब मास्क लगाता है तो इसमें थोड़ी भी लापरवाही परेशानी का सबब बन सकती है। इसकी वजह यह है कि किसी भी संक्रमण के संपर्क में आने पर मास्क भले ही वायरस को सांस के जरिये अंदर जाने से रोके पर यह मास्क तक तो पहुंच ही जाता है।
ऐसे में अगर कोई बार-बार अपने मास्क पर हाथ लगाता है और उससे चेहरे के दूसरे हिस्सों को छूता है तो ऐसे इंसान के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा मास्क लगाए रहने और उसके भीतर से ही कुछ बोलते रहने के कारण मुंह से निकलने वाले भाप के संपर्क में भी यह आता है, जिससे नमी यहां तक पहुंच सकती है, जबकि यह स्थिति किसी भी वायरस या बैक्टीरिया के मजबूत होने के लिए बिल्कुल अनुकूल होती है। ऐसे में हालात और बुरे हो सकते हैं।
ग्लब्स कितना असरदार?
कोरोना वायरस के बढ़ते असर को देखते हुए ग्लब्स के इस्तेमाल की सलाह भी दी जाती है, ताकि हाथों से वायरस शरीर के अन्य हिस्सों में न पहुंचे। लेकिन इस क्रम में यह ध्यान देने की जरूरत है कि अगर इसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया गया तो यह खतरनाक भी साबित हो सकता है। दरअसल, हाथों में रबड़ के ग्लब्स पहनकर लोग कुछ ज्यादा ही बेफिक्र हो जाते हैं और फिर हर उस चीज को हाथ लगाते हैं, जिसे वे नंगे हाथों से छू सकते हैं।
ग्लब्स पहनकर अक्सर लोग बेफिक्री में उन चीजों को भी हाथ लगा देते हैं, जिसे वे नंगे हाथों से छूने से परहेज करते हैं। इस तरह बैक्टीरिया की पहुंच ग्लब्स तक हो जाती है और अगर उससे आप अपने चेहरे या शरीर के किसी अंग को छू दें तो मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। फिर हाथों में हमेशा ग्लब्स लगाए रहने के कारण गर्माहट से पसीना भी आ सकता है, जो किसी भी बैक्टीरिया या वायरस के पनपने और उसके अधिक मजबूत होने के लिए बिल्कुल अनुकूल माहौल होता है।
सैनिटाइजर कितना प्रभावी?
कोरोना वायरस से बचाव के लिए हाथों में सैनिटाइजर लगाने की सलाह भी दी जाती है, लेकिन इस क्रम में यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अच्छी क्वालिटी का सैनिटाइजर ही कारगर साबित हो सकता है। जिस सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करें, उसमें इसका ध्यान रखें कि अल्कोहल की मात्रा 60 प्रतिशत से अधिक हो। यह उस परिस्थति में भी कारगर हो सकता है, जब साबुन और साफ पानी से हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध नहीं हो।
सैनिटाइजर के इस्तेमाल को लेकर हालांकि यह भी समझने की जरूरत है कि यह कई बार त्वचा के लिए आवश्यक बैक्टीरिया का भी खात्मा कर देता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल उन्हीं परिस्थितियों में किया जाना चाहिए, जब आप कहीं ऐसी जगह हों, जहां हाथ धोना संभव नहीं हो। वरना इस संक्रमण से बचाव का सबसे बेहतर तरीका यही है कि थोड़ी-थोड़ी देर पर साबुन व साफ पानी से हाथ धुलते रहें और अगर संभव हो तो हल्के गर्म पानी का इस्तेमाल करें।