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Coronavirus Vaccine: चार से 6 महीने बाद भारत में कोरोना मारक वैक्सीन-रिपोर्ट

Updated Aug 28, 2020 | 20:12 IST

corona vaccine in India: एक रिपोर्ट के मुताबिक उम्मीद जताई जा रही है कि भारत में कोरोना वैक्सीन अगले साल यानि 2021 की पहली तिमाही में उपलब्ध हो सकती है।

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भारत में 2021 की पहली तिमाही में कोरोना वैक्सीन ! (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • भारत में 2021 की पहली तिमाही में कोरोना वायरस वैक्सीन उपलब्ध होने की उम्मीद
  • रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना वैक्सीन बाजार 6 अरब डॉलर के आसपास रहेगा
  • रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में 60 करोड़ खुराक और 2022 में एक अरब खुराक बनने की उम्मीद

नयी दिल्ली । जैसे-जैसे कोविड-19 के टीके का परीक्षण तेज गति से आगे बढ़ रहा है, भारतीय बाजार में 2021 की शुरुआत में एक स्वीकृत टीका उपलब्ध हो जाने की उम्मीद बढ़ रही है। बर्नस्टीन ने एक रिपोर्ट में यह कहा है।वैश्विक स्तर पर चार संभावित टीके हैं, जिन्हें 2020 के अंत तक या 2021 की शुरुआत में स्वीकृति मिल जाने के अनुमान हैं। इनमें से दो टीके ‘एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड का वायरल वेक्टर टीका और नोवावैक्स का प्रोटीन सबयूनिट टीका’ के लिये भारत ने भागीदारी की हुई है।

2021 की पहली तिमाही में भारत में स्वीकृत टीका
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन दोनों टीकाओं के लिये सुरक्षा तथा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ाने में पहले व दूसरे चरण के परीक्षण भरोसेमंद लगते हैं। हम इस बारे में आशावादी हैं कि भारत में 2021 की पहली तिमाही में बाजार में एक स्वीकृत टीका उपलब्ध हो जायेगा।’’उसने कहा कि टीके की कीमत प्रति खुराक तीन से छह डॉलर (225 से 550 रुपये) हो सकती है और क्रियान्वयन की दिक्कतों के कारण सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित होने में दो साल लग सकते हैं। इसका कारण व्यापक स्तर पर टीकाकरण के मामले में कम अनुभव होना है।रिपोर्ट के अनुसार, बड़े स्तर पर टीकाकरण के दो अनुभव हैं। एक 2011 का पोलिया उन्मूलन अभियान और दूसरा हालिया सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई), लेकिन इनका स्तर कोविड-19 के लिये अपेक्षित स्तर का एक तिहाई भर था।

कोल्ड स्टोरेज और कुशल श्रम की हो सकती है चुनौती
बर्नस्टीन ने कहा कि शीत भंडार गृहों की श्रृंखला तथा कुशल श्रम की कमी दो बड़ी चुनौतियां होने वाली हैं। यदि यह भी मानकर चलें कि क्रियान्वयन की गति पहले की तुलना में दो गुना होगी, तब भी सरकारी कार्यक्रम के अमल में आने में 18 से 20 महीने लगेंगे।उसने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि शुरुआत में टीके स्वास्थ्यकर्मियों और 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों आदि जैसे संवेदनशील वर्ग को उपलब्ध कराये जायेंगे। इनके बाद टीके आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों तथा आर्थिक रूप से गरीब लोगों को दिये जा सकते हैं।’’

नोवावैक्स का टीका दे रहा है बेहतर रिजल्ट
रिपोर्ट के अनुसार, नोवावैक्स का टीका एजेड व ऑक्सफोर्ड वाले की तुलना में बेहतर परिणाम दे रहा है। दोनों ने पहले दो चरणों में अच्छे परिणाम दिये हैं और अब तीसरे चरण में है। इनके लिये एक व्यक्ति को 21 से 28 दिन के अंतराल में दो खुराक देने की जरूरत होगी।उसने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले टीके को पेश करने के लिये पूरी तरह से तैयार है।

सीरम इंस्टीट्यूट का दो वैक्सीन पर चल रहा है काम
सीरम इंस्टीट्यूट ने एजेड व ऑक्सफोर्ड तथा नोवावैक्स दोनों के साथ उनके संभावित टीके के उत्पादन का करार किया हुआ है। उसके पास प्रोटीन सब यूनिट और वायरल वेक्टर दोनों तरह के टीके के उत्पादन की क्षमता है। जरूरत पड़ने पर दोनों की प्रकार की क्षमताओं को बदलकर किसी एक को और बढ़ाया जा सकता है। अत: हमें विनिर्माण के मोर्चे पर कोई अवरोध नहीं दिखाई देता है।

भारत में 2021-22 में टीका बाजार 6 अरब डॉलर रहने की उम्मीद
उसने कहा, ‘‘वे (सीरम इंस्टीट्यूट) एक अरब खुराक की अतिरिक्त क्षमता पर भी काम कर रहा है। हमारा अनुमान है कि वे 2021 में 60 करोड़ खुराक और 2022 में एक अरब खुराक बना सकेंगे। इनमें से 2021 में भारत के लिये 40 से 50 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगे।’’इनके अतिरिक्त भारत की तीन कंपनियां जायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई भी अपने अपने टीके पर काम कर रही हैं। ये टीके पहले व दूसरे चरण के परीक्षण में हैं।
बर्नस्टीन ने अनुमान व्यक्त किया है कि भारत का टीका बाजार वित्त वर्ष 2021-22 में छह अरब डॉलर का हो सकता है।