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क्‍या कोविड वैक्‍सीन से प्रभावित होती है प्रजनन क्षमता, होता है बांझपन? सरकार ने किया साफ

Updated Jun 26, 2021 | 09:18 IST

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने उन अफवाहों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया है कि कोविड के टीकों से प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है और ये बांझपन का कारण बन सकते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
क्‍या कोविड वैक्‍सीन से प्रभावित होती है प्रजनन क्षमता, होता है बांझपन? स्वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने किया साफ

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को उन अफवाहों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि कोविड के टीके बांझपन का कारण बनते हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोविड के टीके बांझपन का कारण नहीं बनते हैं। मंत्रालय ने कहा, भारत में जल्द ही कम से कम छह अलग-अलग प्रकार के कोविड -19 टीके उपलब्ध होंगे। हमें एक महीने में 30-35 करोड़ खुराक खरीदने की उम्मीद है, ताकि एक दिन में 1 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा सके।

राष्ट्रीय टीकाकरण परामर्श समूह (एटीएजीआई) के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा, जब पोलियो वैक्सीन आई थी और भारत तथा दुनिया के अन्य भागों में दी जा रही थी, तब उस समय भी ऐसी अफवाह फैली थी कि जिन बच्चों को पोलियो दी जा रही है, आगे चलकर उन बच्चों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है गलत सूचना

उन्होंने कहा कि इस तरह की गलत सूचना एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है। हमें यह जानना चाहिए कि सभी वैक्सीनों को कड़े वैज्ञानिक अनुसंधान से गुजरना पड़ता है। किसी भी वैक्सीन में इस तरह का कोई बुरा असर नहीं होता। मैं सबको पूरी तरह आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस तरह का कुप्रचार लोगों में गलतफहमी पैदा करता है। हमारा मुख्य ध्यान खुद को कोरोना वायरस से बचाना है, अपने परिवार और समाज को बचाना है। लिहाजा, सबको आगे बढ़कर टीका लगवाना चाहिए।

अरोड़ा ने आगे कहा कि यदि किसी टीके की प्रभावशीलता 80 प्रतिशत है, तो टीकाकरण वाले 20 प्रतिशत लोग हल्के कोविड से संक्रमित हो सकते हैं। भारत में उपलब्ध टीके वायरस के प्रसार को कम करने में सक्षम हैं। अरोड़ा ने कहा कि यदि 60-70 प्रतिशत लोगों को टीका लगाया जाता है, तो वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है।

टीकों के साइड इफेक्ट हैं, पर गंभीर नहीं

उन्होंने कहा कि जहां तक साइड इफेक्ट की बात है तो सभी टीकों के हल्के साइड इफेक्ट होते हैं। इसमें एक या दो दिन के लिए हल्का बुखार, थकान, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द शामिल है। इससे कोई गंभीर समस्या नहीं होती है। अधिकांश लोगों को कोविड टीकाकरण के बाद किसी दुष्प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टीके प्रभावी नहीं हैं। 

बच्चों के टीकाकरण पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि दो से 18 वर्ष के बच्चों पर कोवैक्सीन का परीक्षण शुरू हो गया है। बच्चों पर परीक्षण देश के कई केंद्रों में चल रहा है। इसके नतीजे इस साल सितंबर से अक्टूबर तक हमारे पास आ जाएंगे। बच्चों को भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते। बहरहाल, बच्चों से वायरस दूसरों तक पहुंच सकता है। लिहाजा, बच्चों को भी टीका लगाया जाना चाहिए।

डॉ. अरोड़ा ने कहा, सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत लोगों को टीका लगवाने के बाद बुखार आ सकता है। कुछ लोगों को पहली डोज लेने के बाद बुखार आ जाता है और दूसरी डोज के बाद कुछ नहीं होता। इसी तरह कुछ लोगों को पहली डोज के बाद कुछ नहीं होता, लेकिन दूसरी डोज के बाद बुखार आ जाता है। यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है और इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना खासा मुश्किल है।