नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाके में दिवाली के बाद प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि दिल्ली व एनसीआर के प्रमुख 'डार्क रेड जोन' में पहुंच गए हैं। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। खासकर सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों की परेशानी इस दौरान और बढ़ गई है। आंखों में जलन सहित कई अन्य समस्याएं भी सामने आ रही है। बीते दो सप्ताह में अस्पताल में जो लोग एडमिट हो रहे हैं, उनमें से अधिकतर को निमोनिया और सांस संबंधी परेशानी हो रही है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित प्राइमस अस्पताल के स्लीप व क्रिटिकल केयर मेडिसिन में पल्मनरी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके छाबड़ा के मुताबिक, बीते दो सप्ताह में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। जितने भी लोग अस्पताल में दाखिल हो रहे हैं, उनमें 50 प्रतिशत ऐसे हैं, जिन्हें निमोनिया और सांस लेने संबंधी परेशानी हो रही है।
अस्थमा के मरीजों के लिए बढ़ी मुश्किल
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह से लोगों में सांस फूलने और आंखों में जलन की समस्या भी बढ़ रही है। अस्थमा और टीबी के मरीजों की हालत बिगड़ने की शिकायतें सामने आई हैं। इसका सबसे अधिक असर छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर देखने को मिल रहा है। यहां वायु गुणवत्ता इंडेक्स (AQI) सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने बीते पांच साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। शनिवार को यहां AQI 400 से अधिक दर्ज किया गया, जबकि अधिकांश इलाके धुंध की चादर में लिपटे नजर आए। दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब होने के लिए दिवाली पर जमकर हुई आतिशबाजी और पराली जलाने की घटनाओं को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
लोगों को जिस तरह की स्वास्थ्य परेशानी सामने आ रही है, उसे देखते हुए दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी आगाह किया है कि वायु गुणवत्ता खराब होने का सबसे अधिक असर उन मरीजों पर पड़ता है, जो फेफड़ों में संक्रमण संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। जो लोग कोविड से पीड़ित रहे हैं, उन्हें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को खास तौर पर सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने लोगों को मास्क का इस्तेमाल जारी रखने की सलाह देते हुए कहा कि इससे न केवल कोविड से बचाव हो सकता है, बल्कि यह प्रदूषण से भी बचाव प्रदान करता है। इसलिए घर से बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।