- फलों का शुद्ध जूस पीने की आदत का बच्चों की खानेपीने की आदतों पर पड़ता है असर
- फलों के सौ प्रतिशत शुद्ध जूस के सेवन का जीवन भर होता है फायदा
- लगातार जूस पीने से बच्चों के वजन में नहीं होती है अनावश्यक वृद्धि
वॉशिंगटन डीसी: बचपन की आदतें मानव के जीवन पर ताउम्र असर डालते हैं। चाहे वह खानपान हो या व्यवहार कई रिसर्च में इसकी तस्दीक हो चुकी है। इसी तरह की एक और रिसर्च फिर सामने आई है। अमेरिका में 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों के खाने पीने में फलों के शुद्ध जूस को शामिल करके एक दशक तक यानी बचपन से किशोरावस्था तक उनके खाने पानी के पैटर्न पर नजर रखी गई।
यह शोध अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी के लिन मूर और उनके साथियों ने किया। इस शोध में पाया गया है कि यदि बच्चे प्री-स्कूल के दिनों में फलों के शुद्ध जूस का लगातार ज्यादा सेवन करते हैं उनके अंदर किशोरा अवस्था से पहले ही बेहतर खान-पान की प्रवृत्ति विकसित होती है और ऐसा करने से उनका वजन भी नहीं बढ़ता है।
बीमएसी न्यूट्रीशन के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि फलों के शुद्ध रस के सेवन का सीधा असर बच्चों के खाने-पीने की आदत और गुणवत्ता पर पड़ता है। बचपन के शुरुआती दिनों से किशोराव्स्था तक आते आते बच्चों के खाने की गुणवत्ता में गिरावट आती है। बच्चे इसी दौरान बच्चे हेल्दी डाइट को पीछे छोड़ जंक फूड की ओर आकर्षित होते हैं।
जूस पीने का नहीं है वजन बढ़ने से कोई संबंध
रिसर्चर डॉ मूर ने कहा, यह शोध इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है कि जिन बच्चे ने अपने प्री-स्कूल के दौरान प्रतिदिन तकरीबन 1.5 कप शुद्ध फलों के रस का सेवन किया उनके अंदर अन्य बच्चों की तुलना में किशोरावस्था में स्वस्थ आहार लेने की अधिक प्रवृत्ति पाई गई। 10 साल की उम्र तक बच्चों द्वारा तय सीमा (आमतौर पर प्रति दिन 1-2 कप) में फलों के रस के सेवन का उनके अतिरिक्त वजन बढ़ने से कोई संबंध भी नहीं पाया गया।
शोध के दौरान 3 से 6 साल की उम्र के 100 बच्चों के खान-पान, वजन और ऊंचाई का डेटा रखा गया और एक दशक तक उनके खाने पीने के पैटर्न पर पैनी निगाह रखी गई। बच्चों में फल खाने की प्रवृति पर नजर रखी गई और पाया गया कि बचपन के शुरुआती दिनों में जो बच्चे ज्यादा फलों के रस का सेवन करते हैं उसी ज्यादा फल खाते हैं तो उनकी अंदर ये आदत किशोरावस्था तक बनी रहती है।
रिसर्च में पाया गया कि जिन बच्चों ने प्री-स्कूल के दिनों में ज्यादा 100 प्रतिशत फलों के जूस का सेवन किया उनके अंदर 14 से 17 साल की उम्र के दौरान फल खाने की ज्यादा प्रवृत्ति कम जूस पीने वाले बच्चों की तुलना में पाई गई।
ज्यादा जूस का सेवन बेहतर खान-पान की प्रवृति की पहचान
जिन बच्चों ने प्री स्कूल के दिनों में दिन में चार बार सौ प्रतिशत फलों के रस का सेवन किया वो किशोरावस्था के दौरान तय मानकों के अनुरूप फलों के सेवन करने के लिए बेहतर स्थिति में थे। जबकि जिन बच्चों ने इसी दौरान कम जूस का सेवन किया वो किशारोवस्था में तय मानकों के अनुरुप आहार में तय मानकों के अनुसार फलों का सेवन करने में असफल साबित हुए। जिन बच्चों ने शुरुआती दिनों में ज्यादा मात्रा में फलों के रस का सेवन किया उनके अंदर बाद के दिनों में उच्च गुणवत्ता वाले आहार लेने की आदत अन्य बच्चों की तुलना में अच्छी थी। जूस के सेवन का बचपन से किशोरावस्था तक बॉडी मास इन्डेक्स (BMI)से कोई संबंध नहीं पाया गया।
फलों को ज्यादा मात्रा में आहार में शामिल करना या ज्यादा फल खाने के पूरे जीवन अनगिनत फायदे हैं। जीवन के शुरुआती दिनों में जूस नहीं पीने का आपके जीवन में आगे खान पान के व्यवहार पर बहुत असर दिखाई देता है। इस शोध ने यह भी एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि युवावस्था में जूस का सेवन खाने पीने की बेहतर आदत और फल खाने की प्रवृत्ति विकसित करने में मददगार साबित होता है। जूस और फलों के सेवन से बच्चे के वजन में अनावश्यक वृद्धि भी नहीं होती है।