- एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरनाक स्थिति होती है।
- फेलोपियन ट्यूब में अंडाणु विकसित होने लगता है।
- पेट या पेल्विक एरिया में दर्द होना इसके लक्षण हैं।
नई दिल्ली: प्रेग्नेंसी की सूचना हर किसी के लिए सुखद होती है, लेकिन कई बार ये खतरे से भी भरी होती है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी ऐसी ही प्रेग्नेंसी है। शुरुआत में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तरह सारे लक्षण दिखाती हैं, लेकिन समय बढ़ने के साथ ये बेहद गंभीर और खतरे से भरी होती है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से बचने के लिए जरूरी है कि इस प्रेग्नेंसी से जुड़ी हर तरह की जानकारी से आप परिचित हों। समान्य रूप में कहें तो एक्टोपिक प्रेग्नेंसी गर्भाशय यानी यूट्रेस की जगह फेलोपियन ट्यूब में हो जाती हैं।
फर्टिलाइज्ड एग अथवा अण्डाणु यूट्रेस में न जा कर ट्यूब में ही रह जाता है और इसका विकास यही होने लगता है। यूट्रेस तक ये अंडाणु पहुंच ही नहीं पाता। प्रेग्नेंसी की ये स्थिति ही एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहलाती है।
इन कारणों से हो सकती है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
• फैलोपियन ट्यूब यदि ब्लॉक हों, उनमें सूजन हो या किसी संक्रमण के कारण उनमें ब्लॉकेज आ गई हो। ऐसे में अंडाणु यूट्रेस तक नहीं पहुंच पाते हैं और ट्यूब में विकसित होने लगते हैं।
• अगर फैलोपियन ट्यूब के ब्लॉकेज के लिए कोई इलाज किया गया हो, या सर्जरी कराई गई हो तो भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
• फैलोपियन ट्यूब इतना संकरा या इंफेक्शन से ब्लॉक हो गया हो कि अंडाणु आगे न बढ़े पाएं।
• फैलोपियन ट्यूब का असामान्य आकार का होना।
• पहले भी यदि कभी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो चुकी हो।
• 35 साल या उससे ज़्यादा की उम्र में मां बनना।
• पेल्विक या अब्डॉमिनल सर्जरी जिनकी हुई हो, उनमें भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है।
• कई बार गर्भपात होना या कराना।
जानें, क्या होते हैं एक्टोपिक गर्भावस्था के लक्षण
पेट में अचानक तेज दर्द होना और बंद हो जाना। ये दर्द काफी तीव्र होता है। या तो ये पेल्विक एरिया में या पेट में होता है। कई बार ये दर्द कंधे या गर्दन के आसपास भी हो सकता है। कंधे या गर्दन में दर्द का कारण रप्चर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होती है।
- पहले पीरियड का बंद होना लेकिन बीच-बीच में बेहद हल्का रक्तस्राव होते रहना।
- बहुत ज्यादा गैस बनना या पेट का फूलना
- कमजोरी महसूस होना या चक्कर आना। थकान महसूस होना।
- अचानक से रक्तस्राव तेज हो जाना और पेल्विक एरिया में असहनीय दर्द होना।
ऐसे होती है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की जांच
एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जांच सर्वप्रथम अल्ट्रासाउंड के जरिये होती है। ये अल्ट्रासांड अलग तरीके से होता है। वजाइन के जरिये कैमरे को अदंर ले जा कर इसकी जांच की जाती है। इसके साथ ही एचसीजी और प्रोजेस्टेरोन के लेवल नाप कर किया जाता है।
ये हार्मोन यदि कम हो ओर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण हो सकता है। इसके अलावा कलडोसेंटिस प्रक्रिया की जाती है जिसमें वजाइना में सुई डाल कर चेक किया जाता है।
कैसे होता है इलाज
अगर प्रेगनेंसी को ज्यादा दिन न हुआ हो तो मेथोट्रैक्सेट दिया जाता है जो प्रेगनेंसी टिशू को अवशोषित कर फैलोपियन ट्यूब की सुरक्षा करता है। यदि फैलोपियन ट्यूब फट गई है ता सर्जरी का सहारा लेना होता है। ये लैपरोस्कोपिक सर्जरी होती है।